(और इनकी सुनिए…) ‘भारत ने रशिया से तेल खरीदा; कारण अमेरिका की ऐसी इच्छा थी !’ – अमेरिका के भारत में राजदूत एरिक गार्सेटी

भारत में अमेरिका के राजदूत का अहंकारी वक्तव्य !

अमेरिका के भारत में राजदूत एरिक गार्सेटी

वाशिंगटन (अमेरिका) – भारत द्वारा पश्चिमी देशों के विरोध का सामना कर २ वर्षों पूर्व रूस से तेल खरीदने की मात्रा बहुत बढ़ गई है । इस पर अमेरिका के भारत में राजदूत एरिक गार्सेटी ने विधान किया है । उन्होंने कहा, ‘भारत ने रशिया से तेल खरीदा; करण तेल की कीमतें न बढें, यह अमेरिका की इच्छा थी । हमें लगता था कि, रूस का तेल कोई तो खरीदे । यह हमारे नीति की रचना थी ।’ गार्सेटी ‘ अंतर्राष्ट्रीय उलटफेर की विविधता’ ,इस विषय पर आयोजित एक परिषद में बोल रहे थे ।

१. गार्सेटी ने आगे कहा कि, देहली में पिछले सितंबर में आयोजित ‘जी-२०’ परिषद के समय भारत द्वारा यूक्रेन के विषय में वक्तव्य करने पर भी रशिया की तरफदारी ली । इस कारण रशिया को यह घातक नहीं सिद्ध हुआ। हम (अमेरिका) यूरोप की तरफदारी ले सके , इस कारण चीन के लिए यह घातक रहा । इन सभी से भारत-अमेरिका संबंधों की विविधता ध्यान में आती है । ये एकदम सच्चे संबंध हैं ।

२. गार्सेटी ने भारत-अमेरिकी संबंध को ‘आधुनिक प्रेमसंबंध’ ऐसा वर्णन किया । उन्होंने कहा कि, पहले हम निवेश के रिश्तों में थे और अब हम ‘प्रेमसंबंध’ रखने का प्रयास कर रहे हैं । हम एक दूसरे की आदतों को समझ रहे हैं और ऐसा कह सकते हैं कि हम अब एकत्र रह रहे हैं । भारत ने स्पष्ट किया है कि भारत की नीति किसी भी समूह से अलग रहने की है । अर्थात उन्हें किसी भी समूह का हिस्सा नहीं होना है । उन्हें किसी के सहवास की आवश्यकता नहीं है । भारत विवाह न करते हुए अकेले रहना पसंद करेगा । भारत और अमेरिका विश्व के २ सबसे बडे लोकतांत्रिक देश हैं । दोनों में दोष हैं । हमें स्वीकार करना चाहिए ।

… तो पेट्रोल कम से कम २० रुपए महंगा हो जाता ! – विदेशमंत्री

विदेशमंत्री डॉ. एस. जयशंकर

भारत ने रशिया-यूक्रेन युद्ध के समय स्पष्ट किया था कि हम किससे तेल खरीदें, किससे न खरीदें, यह हमारा निर्णय है । हम किसी के भी दबाव के नीचे नहीं आएंगे ।

विदेशमंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने ११ मई के दिन अमृतसर में आयोजित एक प्रचारसभा में कहा कि, रशिया से तेल आयात न करें, इसके लिए हमारे ऊपर दबाव बनाया गया था । विचार कीजिए, यदि हम दबाव में आकर रशिया से तेल खरीदना बंद करते, तो लोगों के लिए पेट्रोल की कीमत २० रुपए बढ गई होती ।

संपादकीय भूमिका 

इसे कहते हैं धूर्तता ! वर्ष २०२२ में भारत को अकेला करने के लिए अमेरिका और यूरोपीय देश भारत पर रूस से तेल न खरीदने के लिए दबाव बना रहे थे । भारत सभी विरोधों का सामना कर सक्षम होकर अकेला खडा रहा । अब भारत के इस साहस के पीछे अमेरिका ही था, यह अमेरिका को बताना है । ऐसा ढोंगी अमेरिका कभी भी भारत का मित्र हो ही नहीं सकता !