अमेरिका ने किया भारत की मांग का समर्थन
न्यूयॉर्क (अमेरिका) – संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कार्यालयीन काम के संदर्भ में निरंतर प्रश्न उपस्थित हो रहे हैं । इस पृष्ठभूमि पर ‘सुरक्षा परिषद में परिवर्तन करने की आवश्यकता है’, ऐसी मांग भारत की ओर से निरंतर की जा रही है । अब अमेरिका ने भारत की इस मांग का समर्थन किया है । अमेरिका ने कहा है कि ७० वर्ष पुरानी सुरक्षा परिषद में आज का वास्तव प्रतिबिंबित नहीं होता ।
हम परिवर्तन चाहते है !
संयुक्त राष्ट्र में कार्यरत अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफिल्ड ने टोकियो में हुए एक भाषण में सूचित किया कि सुरक्षा परिषद में रशिया और चीन ही राष्ट्रसंघ की इस शक्तिशाली १५ सदस्यीय शाखा के विस्तार का विरोध कर रहे हैं । इसके पहले ‘हम सुरक्षा परिषद में परिवर्तन नहीं चाहते’, इस मत पर अमेरिका, चीन और रशिया का एकमत हुआ था; परंतु वर्ष २०२१ में अमेरिका ने इस मत से अपनेआप को दूर हटाकर परिवर्तन आवश्यक है, ऐसा स्पष्ट किया । ७० वर्ष पुरानी सुरक्षा परिषद आज के काल का वास्तव प्रतिबिंबित नहीं करती । हमारे पास १९३ सदस्य देश हैं । उनमें से आफ्रिका और दक्षिण अमेरिका को स्थायी सदस्यत्व नहीं है तथा संसार के अन्य देश एवं अन्य प्रदेश परिषद में लक्षणीय प्रतिनिधित्व नहीं करते; इसलिए हमने ‘जी-४ सदस्य’ जपान, जर्मनी और भारत से हुई चर्चा में स्पष्ट किया है कि उनके सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य होने में हमारा समर्थन है । अमेरिका के अध्यक्ष ने पीछले वर्ष अपने भाषण में इसका पुनरुच्चार किया था । उन्होंने कहा था कि मैं जानता हूं कि यह साध्य करना सरल नहीं है । मुझे लगता है कि इसके लिए बहुत काम करना पडेगा । यह कैसे किया जाए ? इस विषय में १९३ सदस्यों में एकमत नहीं है; परंतु हम परिवर्तन चाहते है और वह किस प्रकार और किस स्वरूप में होगा ? यह समझने के लिए हमें एकत्र काम करना होगा; परंतु यह ऐसा सूत्र है, जिसके लिए हम पूर्णरूप से वचनबद्ध हैं और इसकी सफलता के लिए हम प्रयासरत हैं ।
भारत की मांग
संयुक्त राष्ट्रों में परिवर्तन करने की आवश्यकता है, ऐसी मांग भारत अनेक वर्षाें से कर रहा है । भारत का कहना है कि भारत इस संगठन का स्थायी सदस्य होने के लिए पात्र है ।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार करने हेतु भारत के सुझाए सूत्र
वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ५ स्थायी सदस्य हैं । इनमें चीन, फ्रान्स, रशिया, ब्रिटन और अमेरिका हैं । केवल एक स्थायी सदस्य को किसी भी ठोस प्रस्ताव पर नकाराधिकार (वेटो) व्यक्त करने का अधिकार है । पीछले महीने में भारत ने सुरक्षा परिषद में आवश्यक सुधार, इस विषय पर विस्तृत ‘मॉडल’ प्रस्तुत किया । इसमें ६ स्थायी और ४ अथवा ५ अस्थायी सदस्यों को जोडकर सुरक्षा परिषद का सदस्यत्व वर्तमान के १५ से २५ तक बढाने का प्रस्ताव है ।