(और इनकी सुनिए…) ‘सामूहिक हित संजोनेवाली एकीकृत राजनयिक कूटनीति का स्वीकार करना चाहिए !’ – अमेरिका

अमेरिका ने अब अफगानिस्तान की आड में भारत को दिया ‘ज्ञान’ !

अमेरिका के अफगानिस्तान में विद्यमान विशेष प्रतिनिधी थॉमस वेस्ट

वॉशिंग्टन (अमेरिका) – विदेश नीतियां और देशांतर्गत सूत्रों को लेकर भारत और अमेरिका के बीच के संबंधों में तनाव बढ रहा है । नागरिकता सुधार कानून, अरविंद केजरीवाल को बंदी बनाना, कांग्रेस के बैंक अकौंट फ्रिज करना इन सूत्रों को लेकर वक्तव्य देने के उपरांत अब अमेरिका ने भारत को तालिबान से विद्यमान संबंधों पर परामर्श दिया है । ‘अफगानिस्तान के संदर्भ में सामूहिक हित संजोनेवाली एकीकृत राजनयिक कूटनीति का स्वीकार करना चाहिए’, ऐसा अमेरिका ने भारत को बताया है । भारतीय विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी जे.पी. सिंह हाल ही में काबुल गए थे । इस समय वे तालिबान के प्रमुख नेताओं से मिले थे । इस पृष्ठभूमि पर अमेरिका ने यह वक्तव्य दिया है ।

१. ‘वॉईस ऑफ अमेरिका’ के ब्योरे के अनुसार अमेरिका के अफगानिस्तान में विद्यमान विशेष प्रतिनिधी थॉमस वेस्ट ने भारतीय विदेश सचिव को अफगानिस्तान के संदर्भ में उपर्युक्त दृष्टिकोन दिया है ।

२. अमेरिका के प्रवक्ता ने कहा है कि तालिबान से संबंध सुधारकर राष्ट्रीय हितसंबंध बढाने की भारत की आवश्यकता का आदर करता हूं । हम आप को बताना चाहते है कि अफगानिस्तान से आए आतंकवादी भारत और अमेरिका इन दोनों के लिए मुख्य चिंता के विषय हैं ।

३. तालिबान पर अमेरिका ने लगाए प्रतिबंध आज भी वैसे ही हैं । अमेरिका की इस भूमिका पर अनेक विश्लेषकों ने टिप्पणी की है; परंतु तब भी अमेरिका सरकार उसपर दृढ है । तालिबान महिलाओं को जब तक शिक्षा और काम का अधिकार नहीं देती, तब तक यह ऐसा ही चलता रहेगा, ऐसा अमेरिका सरकार का कहना है ।

४. भारत ने काबुल की नई सरकार से अपने संबंध जारी रखे हैं । इतना ही नहीं, किंतु भारत और तालिबान के बीच के संबंध अब नई ऊंचाई पर पहुंच रहे हैं । चीन ने तालिबान के राजदूत को मान्यता देने के उपरांत भारत ने यह कदम उठाया है । दूसरी ओर अमेरिका आज भी तालिबान सरकार को संसार से अलग करने की नीति पर दृढ है ।

५. पाकिस्तान के भूतपूर्व राजदूत रुस्तम शाह मुहंमद ने कहा कि भारत तालिबान के साथ व्यापार करना चाहता है और मध्य एशिया की ऊर्जा परियोजनाओं में उसे प्रवेश करना है ।

६. तालिबान के विदेश मंत्री के साथ हुई बैठक में भारतीय अधिकारी ने बताया था कि भारत द्वारा निर्मित चाबहार बंदरगाह से ईरान व्यापार बढाना चाहता है । तालिबान सरकार ने चाबहार बंदरगाह में निवेश कर पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर उसकी निर्भरता अल्प करने की घोषणा की है ।

७. अमेरिका अनेक बार तालिबान को अल् कायदा के बारे में चेतावनी देती है । भारत में रक्तपात करनेवाले पाकिस्तान समर्थित जिहादी आतंकवादियों का संकट का भी भारत को सामना करना पड रहा है । तालिबान ने आश्वासन दिया है कि वह किसी भी आतंकवादी गुट को उसकी भूमि का उपयोग करने नहीं देगा ।

संपादकीय भूमिका

  • ‘भारत क्या करें और क्या न करें, यह अमेरिका हमसे न सीखाएं । अमेरिका अपने देश का विचार करें’, ऐसे स्पष्ट शब्दों में अमेरिका को बताना अब भारत के लिए आवश्यक हो गया है !
  • अमेरिका ने अपने स्वार्थ के लिए अफगानिस्तान में प्रवेश किया था और उसमें उसका मुंह ही नहीं; अपितु सबकुछ जलने पर उसने वहां से पलायन किया और अब वह भारत को ‘ज्ञान’ दे रही है !