अरविंद केजरीवाल को बंदी बनाने पर अमेरिका ने व्यक्त की प्रतिक्रिया का मामला
नई देहली – देहली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बंदी बनाने पर अमेरिका द्वारा की टिप्पणी पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के भारत स्थित दूतावास के कार्यकारी उपप्रमुख ग्लोरिया बारबेना को बुलाकर इसका उत्तर मांगा । भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी और अमेरिकी राजनीतिक अधिकारियों में लगभग ४० मिनट चर्चा हुई ।
१. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैस्वाल ने प्रसारित किए निवेदन में कहा है कि भारत में हुर्इ कुछ कानूनी कार्यवाहियों के विषय में अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा की टिप्पिणयों पर हमें तीव्र आपत्ति है । किसी भी देश की संप्रभुता के संदर्भ में अन्य देशों से सम्मान व्यक्त करने की अपेक्षा की जाती है । यदि ऐसे सूत्र सहयोगी लोकतांत्रिक देशों संबंधी होंगे, तो यह दायित्व और भी अधिक होता है । इस दायित्व को निभाने में असफल होना, एक अत्यंत अनुचित उदाहरण है । भारत की कानूनी प्रक्रिया स्वतंत्र न्यायव्यवस्था पर आधारित है, जो वस्तुनिष्ठता के साथ समय मर्यादा में निर्णय लेने के लिए वचनबद्ध है । भारतीय न्यायव्यवस्था पर आपत्ति उठाना अनुचित है ।
India strongly objects to the remarks of the US State Department Spokesperson:https://t.co/mi0Lu2XXDL pic.twitter.com/pa9WYNZQSi
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) March 27, 2024
२. ‘देहली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बंदी बनाने के समाचार पर हम ध्यान दे रहे हैं । केजरीवाल मामले में हमें निष्पक्ष, पारदर्शी और समय मर्यादा का पालन करनेवाली कानूनी प्रक्रिया अपेक्षित है’, ऐसा अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था ।
३. अमेरिका से पहले जर्मनी ने भी इस प्रकार की भारत विरोधी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी । उस पर भी भारत ने तीव्र आपत्ति उठाई थी । जर्मनी के राजदूत जॉर्ज एनजवीलर को बुलाकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि इस प्रकार की टिप्पणियां करना हमारी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने समान और हमारी न्यायव्यस्था की स्वतंत्रता को दुर्बल बनाने समान है । भारत में कानून का राज्य है और यह एक समर्थ लोकतांत्रिक देश है । भारत तथा अन्य लोकतांत्रिक देशों में कानून जैसे मार्गक्रमण करता है, वैसे ही कानून केजरीवाल के मामले में भी मार्गक्रमण करेगा । इस मामले में पक्षपाती पूर्वधारणा अनुचित है ।
संपादकीय भूमिकाभारत के लिए ऐसा करना ही आवश्यक है । अमेरिका भारत का विश्वासू मित्र नहीं है, यह सदैव ध्यान में रखना चाहिए । उसे उसकी मर्यादाओं का भान करवाते रहना, विदेश नीति के लिए आवश्यक है ! |