Jaishankar Japan Visit : स्वतंत्रता के उपरांत हमारे ऊपर आक्रमण हुए, तब विश्व के तत्व कहां थे ?

रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत की भूमिका के विषय में पूछे गए प्रश्न पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का प्रत्युत्तर !

भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर

टोकियो (जापान) – भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर जापान के दौरे पर हैं । वहां उन्हें एक जापानी पत्रकार ने पूछा, ‘आप सार्वभौमिकता के सम्मान के विषय में बोलते हैं; लेकिन रूस द्वारा यूक्रेन पर किए आक्रमण पर भारत ने कभी भी टिप्पणी नहीं की । यह दोहरी नीति नहीं है क्या ?’ इस पर डॉ. जयशंकर ने उत्तर देते हुए कहा, ‘स्वतंत्रता के उपरांत तुरंत ही भारत पर आक्रमण हुए । हमारी सीमाएं अनेक बार बदली गई; लेकिन कोइ भी तत्व अथवा सिद्धांत बताकर हमारे साथ नहीं आया । आज भी भारत का कुछ भाग अन्य देशों ने अधिकार में लिया है; लेकिन इस पर किसी का भी सिद्धांत नहीं और वे भारत को समर्थन देने के विषय में नहीं बोलते ।’

जयशंकर ने आगे कहा कि,

१. विश्व को समझना बहुत कठिन है । यहां अनेक मान्यता और सिद्धांत हैं । विश्व राजनीति में अनेकों बार देश उनकी सहूलियत के अनुसार तत्व चुनते हैं, साथ ही वे अन्य देशों पर उनके तत्वों का पालन करने के लिए दबाव बनाते हैं ।

२. आज भारत को कहा जाता है कि, सार्वभौमिकता जैसे मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए; परंतु ८० वर्षों पूर्व यह मूल्य कहीं भी नहीं दिखते थे ।

संयुक्त राष्ट्र में सुधार होना चाहिए !

१. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार करने के विषय में जयशंकर ने कहा कि, आज अधिकांश देशों को लगता है कि, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव होना चाहिए । जब संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई तब उसमें लगभग ५० देश थे, आज २०० देश संयुक्त राष्ट्र के सदस्य हैं । किसी एक संस्था के सभासदों की संख्या ४ गुना बढती है, तब उसका नेता और कार्यपद्धति पहले जैसी नहीं रह सकती ।

चीन का नाम लिए बिना जयशंकर ने कहा कि, जिन देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव नहीं चाहिए, यही है यह पद्धति आगे लाने का प्रयत्न कर रहे हैं ।

२. भारत और जापान को परिषद में स्थान मिलना आवश्यक है । विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश और कुछ बडे आपूर्तिकर्ता देशों को संयुक्त राष्ट्र के बाहर रखना, यह इस संस्था के लिए अच्छा नहीं । इसलिए इन दोनों देशों को जल्द ही परिषद में स्थान देना चाहिए, ऐसी हमारी इच्छा है ।

३. यहां एक भी अफ्रीकी देश सदस्य नहीं । एक भी दक्षिण अमेरिका खंड का देश सदस्य नहीं । अफ्रीका खंड में ५० से अधिक देश हैं; परंतु एक भी सदस्य नहीं है ।

४. आज विश्व में अनेक महत्वपूर्ण प्रश्न हैं; परंतु संयुक्त राष्ट्र इसमें अपनी भूमिका नहीं निभाते ।

५. सुरक्षा परिषद में बदलाव होगा, यह हमें ज्ञात है । यह कब होगा ?, कितना समय लगेगा ? और उसका स्वरूप क्या होगा ? यह वास्तविक प्रश्न है ।