राष्ट्राध्यक्ष पद के लिए चुनाव
वॉशिंग्टन (अमेरिका) – अमेरिका में इस वर्ष राष्ट्राध्यक्ष पद के लिए चुनाव होनेवाले हैं । इस चुनाव में रिपब्लिक और डेमोक्रॅटिक पक्षों की ओर से उनके प्रत्याशी लडनेवाले हैं । प्रत्याशी बनने के लिए दोनों दलों के नेता प्रयत्नशील हैं । इस पृष्ठभूमि पर वर्तमान सत्ताधारी डेमोक्रॅटिक पक्ष की ओर से अमेरिका के हिन्दू मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए पक्ष के चुनाव घोषणापत्र में हिन्दुओं के लिए एक पृष्ठ रखा जाएगा । इस पृष्ठ पर हिन्दुओं के लिए आवश्यक घोषणाएं होंगी । अमेरिका के इतिहास में ऐसा पहली बार ही हो रह है । अब तक डेमोक्रॅटिक पक्ष के घोषणापत्र में मुसलमान और यहुदियों जैसे धार्मिक समुदायों के लिए स्वतंत्र पृष्ठ होता था । अमेरिका में लगभग ३० लाख हिन्दू मतदाता हैं । विशेष बात तो यह है कि अमेरिका में घोषणापत्र में दिए आश्वासन पूर्ण करना कानूनन आवश्यक होता है । (भारत में आए दिन घोषणापत्र में दिए आश्वासन एक भी राजनीतिक दल कभी पूरे नहीं करता, यह इतिहास है । अब भारत में राजनीतिक दलों को कानूनन आश्वासन पूर्ण करने का बंधन लगाना आवश्यक हो गया है ! – संपादक)
‘हमास के युद्ध में अमेरिका ने इजरायल का समर्थन किया, इसलिए यहां के मुसलमान डेमोक्रॅटिक पक्ष की ओर आकृष्ट न होने की आशंका है । ऐसी स्थिति में डेमोक्रॅटिक पक्ष हिन्दू मतदाताओं को आकृष्ट कर सकता है ।’ – श्री. भवानी पटेल, पेंसिल्वेनिया के डेमोक्रॅटिक पक्ष के प्रत्याशी
‘अब तक अमेरिका में राजनीतिक दलों की ओर से हिन्दू मतदाताओं को सार्वजनिक मान्यता नहीं थी; परंतु वर्तमान समय में अमेरिकी समाज में हिन्दुओं के बढते प्रभाव को देखते हुए लगता है कि किसी भी पक्ष को हिन्दू मतदाताओं की उपेक्षा करना कठिन होगा । ऐसी स्थिति में घोषणापत्र में हिन्दुओं के लिए स्वतंत्र पृष्ठ रखना उचित होगा ।’ – रमेश कपूर, डेमोक्रॅटिक पक्ष के धनदाता
अमेरिका के ५० में से १६ राज्यों में हिन्दू मतदाता निर्णायक हैं । विस्कॉन्सिन, जॉर्जिया और पेंसिल्वेनिया में हिन्दू और मुसलमान मतदाता समान संख्या में हैं । |
संपादकीय भूमिकाअमेरिका कथित धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने पर भी ईसाई धर्म को ही प्रधानता देता है; क्योंकि वहां ईसाई बहुसंख्यक हैं । भारत में परिस्थिति इसके विपरीत है, अर्थात बहुसंख्यक हिन्दुओं का कोई महत्त्व नहीं है । अब हिन्दुओं के मत प्राप्त करने के लिए हिन्दुओं की चापलूसी करने का प्रयत्न डेमोक्रॅटिक पक्ष कर रहा है । इसकी ओर ध्यान देना होगा कि इसके पहले उसे हिन्दुओं का स्मरण कभी नहीं हुआ था ! |