Arunachal Christian Prayer Festival : इटानगर में ‘अरुणाचल ईसाई प्रार्थना महोत्सव’ को अनुमति देने पर, आदिवासी संगठनों द्वारा तीव्र विरोध !

  • सरकार द्वारा ऐसी अनुमति देना असंवैधानिक तथा आपत्तिजनक ! – ‘आपतानी दानी-पिलो मेडेर नेलो परिषद’ आदिवासी संगठन

  • आदिवासियों का धर्मांतरण करने का षडयंत्र करने का आरोप !

इटानगर (अरुणाचल प्रदेश) – राज्य सरकार द्वारा शहर में ईसाई मिशनरी के कार्यक्रम को अनुमति देने पर यहां के आदिवासी संगठनों ने उसका तीव्र विरोध किया है । इन संगठनों ने कहा कि सरकार ने लिया यह निर्णय केवल आपत्तिजनक ही नहीं अपितु असंवैधानिक भी है । इसके लिए उन्होंने वर्ष १९७९ के अरुणाचल प्रदेश सरकार के घोषणा पत्र का संदर्भ देते हुए कहा कि अरुणाचल प्रदेश राज्य के मूल जनजाति की संस्कृति के लिए संकटपूर्ण ईसाई अथवा अन्य समुदाय के कार्यक्रम रखने का कोई अर्थ नहीं है । इस संदर्भ में ‘आपतानी दानी-पिलो मेडेर नेलो परिषद’ इस स्थानीय आदिवासी संगठन ने प्रसिद्धिपत्रक प्रसारित किया है । ‘जनजाति सुरक्षा मंच अरुणाचल प्रदेश’ तथा ‘अरुणाचल इन्डिजीनस स्टुडेंट्स युनियन’ ने भी इस प्रसिद्धिपत्रक को अपना समर्थन दिया है । ‘जनजाति सुरक्षा मंच अरुणाचल प्रदेश’ संगठन ने इस संदर्भ में मुख्य सचिव तथा इटानगर के पुलिस उपायुक्त के विरोध में पुलिस में शिकायत भी प्रविष्ट की है ।

‘आपतानी दानी-पिलो मेडेर नेलो परिषद’ ने प्रसारित किया प्रसिद्धिपत्रक

१. इस प्रसिद्धिपत्रक के अनुसार इटानगर के ‘आय.जी. पार्क’ क्षेत्र में ‘अरुणाचल ईसाई प्रार्थना महोत्सव’ के आयोजन में मिशनरी पॉल दिनाकरन् आने वाले हैं । राज्य सरकार ने उसकी अनुमति दी है ।

२. अतः परिषद ने सरकार के इस निर्णय का खंडन किया है । परिषद ने कहा है कि सरकारी नियम के अनुसार स्थानीय अनुसूचित जनजाति के संरक्षण के लिए, अन्य धार्मिक संगठन के लोगों के संदर्भ में सतर्क रहने की आवश्यकता है ।

‘आपतानी दानी-पिलो मेडेर नेलो परिषद’ ने प्रसारित किया प्रसिद्धिपत्रक

३. सरकारी नीति है कि राज्य में सांस्कृतिक तथा सामाजिक सौहार्द बनाए रखे तथा सीधे सादे स्थानीय लोगों को उनकी मूल संस्कृति से दूर करने का कोई भी प्रयत्न नहीं होने दिया जाए । ईसाई अथवा गैर ईसाई, किसी को भी स्थानीय आदिवासियों का धर्मांतरण करने न दिया जाए ।

संपारकीय भूमिका

बहुसंख्य हिन्दुओं के देश में उनका ही धर्मांतरण करने के प्रयास के कार्यक्रम को सरकार अनुमति देती है, इससे अधिक शोकजन्य क्या होगा ? इस हेतु हिन्दुओं के हित की रक्षा कर सकने वाले हिन्दू राष्ट्र की ही आवश्यकता है, यह समझें !