खालिस्तानियों को सहजता से ‘वीसा’ देने के साथ ही कृषि कानूनविरोधी आंदोलनों को आर्थिक सहायता की जाने का भारत के पास प्रमाण !
नई देहली – कैनडा के ४१ राजनैतिक अधिकारियों को भारत छोडकर जाने के लिए कहने पर कैनडा सरकार भारत के विरोध में विषवमन कर रही है । ऐसों को भारत द्वारा लिए गए इस कठोर निर्णय के पीछे की कारणमीमांसा ध्यान में आई है । कैनडा के अधिकारी भारत के अंतर्गत प्रकरणों में नाक घुसेड रहे हैं, इसके वस्तुनिष्ठ प्रमाण भारत के पास होने की जानकारी सामने आई है । यह निर्णय इसी आधार पर ही भारत ने लिया है ।
एक हिन्दी समाचारवाहिनी ने वरिष्ठ सरकारी सूत्रों के माध्यम से बताया है,
१. चंडीगढ सहित पंजाब में अनेक क्षेत्रों मे वाणिज्य दूतावासों में कैनडा के राजनैतिक अधिकारियों ने उनके अधिकारों का दुरुपयोग किया था ।
२. इसके साथ ही वे भारत के ऐसे लोगों को कैनडा का ‘वीसा’ सहज उपलब्ध करवाते हैं, तो अपराधी पृष्ठभूमि से संबंधित हैं अथवा खालिस्तानी आतंकवादियों को समर्थन देते हैं । खालिस्तानियों के सूत्र को बल मिलने हेतु इसप्रकार बिजली प्रक्रिया की गई थी ।
३. इसके साथ ही सरकार ने कृषि क्षेत्र से संबंधित बनाए हुए तीन कानूनों के विरोध में वातावरण निर्माण करने के लिए भी कैनडा के अधिकारियों ने अपनी भूमिका निभाई थी । प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष पद्धतियों से कृषि कानून के विरोध में जनमत निर्माण करने के लिए प्रक्रिया में वे सम्मिलित थे । कैनडा में कुछ भारतीयों को प्रचंड प्रमाण में अर्थसहायता कर उन्हें कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए उद्युक्त किया गया ।
४. पंजाब सरकार के कार्यालयों में कैनडा के राजनैतिक अधिकारियों की बैठकेें सतत होती रहती हैं । कुछ लोगों को इन अधिकारियों के कुटिल उद्देश्यों के विषय में शंका भी आई थी और उन्होंने समय-समय पर गुप्तचर संगठनों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्षरूप से जानकारी भी दी थी । गुप्तचर संगठनों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार एक महीना उपरांत भारत सरकार ने बहुत सोच-विचार कर यह निर्णय लिया और कैनडा के ४१ राजनैतिक अधिकारियों को पुन: उनके देश भेज देने का निर्णय लिया ।
५. २२ अक्टूबर को भारत के परराष्ट्रमंत्री डॉ. एस्. जयशंकरने कहा था कि भारत के पास कैनडा सरकार भारत के अंतर्गत प्रकरणों में अपनी नाक घुसोडने का प्रमाण है । इस संदर्भ में महत्त्वपूर्ण जानकारी अब जनता को दी नहीं गई है । कालानुसार और अधिक जानकारी सामने आई है । जानकारी सामने आने के उपरांत जनता को यह ध्यान में आएगा कि भारत ने कैनडा के राजनैतिक अधिकारियों को वापस क्यों भेजा ?
संपादकीय भूमिकाभारत को अस्थिर करने का प्रयत्न करनेवाले कैनडा के विरोध में ऐसे कदम उठाना आवश्यक ही था । अब भारत सरकार को ऐसे ही कठोर भूमिका अपनाते हुए कैनडा के साथ व्यापारी स्तर के संबंध तोडकर उसे उसकी जगह दिखा देनी चाहिए ! |