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नई देहली – पुलिस थाने की कोठरी में (लॉक अप में) एक व्यक्ति को बिना किसी कारण बंद करनेवाले देहली के बदरपुर पुलिस थाने के २ पुलिस उपनिरीक्षकों को देहली उच्च न्यायालय ने ५० सहस्र रुपयों से दंडित किया । दोनों के मासिक वेतन से ये पैसे वसूलने का आदेश भी न्यायालय ने दिया है । ‘इस दंड का उद्देश्य पुलिस अधिकारियों को संदेश देना है, पुलिस अधिकारी स्वयं कानून नहीं बना सकते’, इन शब्दों में न्यायालय ने उन्हें फटकार लगाई । गत वर्ष सितंबर में यह घटना घटी थी ।
लॉकअप में 23 मिनट; वर्दी की ताकत के गलत इस्तेमाल पर कोर्ट ने सिखा दिया सबक#DelhiHighCourt #Police https://t.co/B1uTWnxFes
— Hindustan (@Live_Hindustan) October 6, 2023
पुलिस की ऐसी आलोचना की जानी चाहिए कि अन्य अधिकारी भविष्य में ऐसा कृत्य नहीं करेंगे !
न्यायालय ने आगे कहा कि कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना व्यक्ति की स्वतंत्रता छिननेवाले पुलिस अधिकारियों को छूट नहीं मिल सकती । केवल आलोचना करने से पुलिस अधिकारियों के कार्यकाल पर प्रभाव नहीं पडेगा । आलोचना ऐसी की जानी चाहिए कि अन्य अधिकारी भविष्य में ऐसा कृत्य नहीं करेंगे ।
पुलिस अधिकारी जिस प्रकार से मनमानी व्यवहार करते हैं, वह भयंकर !
न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता को बंदी भी नहीं बनाया गया, इसलिए यह न्यायालय चिंतित है । उसे केवल घटनास्थल से उठाकर पुलिस थाने में लाया गया और किसी कारण के बिना ही कोठरी में रखा गया । नागरिकों के संवैधानिक और मुलभूत अधिकारों की उपेक्षा कर पुलिस अधिकारी जिस प्रकार से मनमानी करते है, वह भयंकर है । नागरिकों के संदर्भ में पुलिस का वर्तन दिखाता है कि वे कानून से भी श्रेष्ठ हैं । इसी बात को लेकर न्यायालय चिंतित है । ऐसी घटनाओं में केवल निषेध करने से काम नहीं चलेगा ।
High Court Pulls Up Delhi Police For ‘Terrible And Unfair Investigation’, Directs State To Pay ₹50K Compensation Each To Two Accused | @nupur_0111 #DelhiHighCourt @DelhiPolice https://t.co/FtKqxMxIiN
— Live Law (@LiveLawIndia) August 22, 2023
क्या है पूरा प्रकरण ?
पुलिस थाने में आए परिवाद के अनुसार एक सब्जी बेचनेवाले ने महिला को धक्कामुक्की की थी । यह परिवाद उपनिरीक्षकों के पास भेजा गया । घटनास्थल पर जाकर उन्होंने एक महिला तथा याचिकाकर्ता को खोज निकाला । पुलिस ने उसे पुलिस थाने में लाकर रात में ११.०१ बजे कोठरी में बंद किया और ११.२४ बजे उसकी मुक्तता की । याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसे कोई कारण देकर बंदी नहीं भी बनाया और न ही कोई अपराध प्रविष्ट किया, परंतु उसे नियंत्रण में लिया गया ।
संपादकीय भूमिकादेहली उच्च न्यायालय का अभिनंदन ! अपेक्षा है कि न्यायालय यदि ऐसा ही तथा इससे भी अधिक कठोर दंड उद्दंड पुलिसकर्मियों को करेगा, तो ही उनमें कुछ तो परिवर्तन आएगा ! |