‘न्यूजक्लिक’ ने रचा था कश्मीर एवं अरुणाचल प्रदेश को ‘विवादग्रस्त क्षेत्र’ दिखाने का अंतर्राष्ट्रीय षड्‌यंत्र !

देहली पुलिस ने दी जानकारी

जालस्थल के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ को बंदी बनाया

नई देहली – ‘न्यूजक्लिक’ नामक समाचार जालस्थल ने अंतर्राष्ट्रीय षड्‌यंत्र रचकर अरुणाचल प्रदेश एवं कश्मीर भारत के भाग नहीं हैं, ऐसा दिखाने का प्रयास किया था । इस संदर्भ में देहली पुलिस ने जानकारी दी है कि इस जालस्थल के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ के विरुद्ध प्रमाण मिले हैं । पुलिस ने पुरकायस्थ को बंदी बनाया है । उनको न्यायालय द्वारा ७ दिनों की पुलिस कोठरी सुनाई गई है । देहली पुलिस ने ३ अक्टूबर को ‘न्यूजक्लिक’ से संबंधित ३० स्थानों पर छापेमारी की थी । उस समय ९ महिलाओं सहित ४६ लोगों से पूछताछ की गई थी । इसमें कुछ पत्रकार भी सम्मिलित थे । चीन द्वारा गैरकानूनी धन लेने का इस जालस्थल पर आरोप है ।

पुलिस ने दावा किया है कि उनको प्रबीर पुरकायस्थ एवं अमेरिका के उद्योजक नेविल रॉय सिंघम के मध्य ईमेल द्वारा हुआ वार्तालाप मिला है । उसमें उन्होंने ‘कश्मीर एवं अरुणाचल प्रदेश को ‘विवादग्रस्त क्षेत्र’ के रूप में दिखानेवाला भारत का मानचित्र (नक्शा) कैसे तैयार करना है ?, इस पर चर्चा की है । इस जालस्थल ने भारत की उत्तर सीमा में परिवर्तन कर मानचित्र में कश्मीर एवं अरुणाचल प्रदेश भारत के भाग के रूप में नहीं दिखाए हैं । उन्‍होंने यह प्रयास देश की एकता एवं प्रादेशिक अखंडता निर्बल करने के हेतु से किए ।
पुलिस ने दी जानकारी के अनुसार शहर के नक्सलवादी गौतम नवलखा न्यूजक्लिक में शेयर होल्डर हैं । वह देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं ।

(और इनकी सुनिए…) ‘हमने चीन का प्रचार नहीं किया है !’ – ‘न्यूजक्लिक’ का दावा

‘न्यूजक्लिक’ ने ‘एक्स’ पर से (पूर्व के ट्विटर से) निवेदन प्रसारित किया है । उसमें स्वयं की भूमिका प्रस्तुत की है । उस में कहा है ‘‘न्यूजक्लिक एक स्वतंत्र समाचार-जालस्थल है । वह कोई भी चीनी संस्था अथवा प्राधिकरण के आदेश अनुसार कोई भी समाचार अथवा जानकारी प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रुप से प्रकाशित नहीं करता है । हमारे जालस्थल पर किसी भी चीनी नीतियों का प्रचार नहीं किया जाता है । जालस्थल पर प्रकाशित की हुई सामग्री के लिए नेविल रॉय सिंघम द्वारा कोई भी परामर्श नहीं लिया जाता । हमें मिला हुआ धन उचित बैंकिंग प्रक्रिया के द्वारा मिला है । इस विषय में संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया गया है । रिजर्व बैंक ने भी देहली उच्च न्यायालय में इसका समर्थन किया है ।

संपादकीय भूमिका 

देशद्रोही कृत्य करनेवाले इस समाचार जालस्थल पर अबतक प्रतिबंध लगाना ही आवश्यक था !