अमेरिका ने की भारतीय परराष्ट्रमंत्री की प्रशंसा !
वॉशिंग्टन (अमेरिका) – अमेरिकी प्रशासकीय अधिकारियों ने भारतीय परराष्ट्रमंत्री डॉ. एस्. जयशंकर की प्रशंसा की है । बायडेन प्रशासन के उच्चपदाधिकारियों ने उन्हें ‘आधुनिक अमेरिका-भारत संबंध के शिल्पकार’ संबोधित किया है । इन अधिकारियों का कहना है कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को अधिक दृढ करने के लिए उन्होंने विशेष भूमिका निभाई है ।
S Jaishankar is ‘architect’ of modern India-US ties, says top Biden official@DrSJaishankar #IndUsRelationshttps://t.co/yXLO7wuva1
— IndiaToday (@IndiaToday) October 2, 2023
डॉ. जयशंकर का लगभग ९ दिनों का अमेरिकी दौरा १ अक्टूबर को समाप्त हुआ । अंतिम दिन अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने डॉ. जयशंकर के सम्मान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था । इस अवसर पर बायडेन प्रशासन के उच्चाधिकारी सर्जन जनरल विवेक मूर्ती, उप सचिव रिचर्ड वर्मा, राष्ट्रपति बायडेन की घरेलू नीतियों की परामर्शदाता (सलाहाकार) नीरा टंडन, राष्ट्रीय औषधीय नियंत्रण नीतियों के निदेशक डॉ. राहुल गुप्ता एवं राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन के निदेशक डॉ. सेथुरमन पंचनाथन् सम्मिलित हुए थे । इस अवसर पर इन अधिकारियों ने जयशंकर को ‘आधुनिक अमेरिका-भारत संबंधों के शिल्पकार’ के रूप में संबोधित किया ।
डॉ. जयशंकर ने अपने दौरे की जानकारी देनेवाला एक वीडियो ‘एक्स’पर प्रसारित किया है । इसमें उन्होंने अमेरिकी दौरे के मुख्य अंशों का समावेश किया है । इस वीडियो को उन्होंने ‘भारत एवं अमेरिका : क्षितिज का विस्तार’ नाम दिया है ।
विविध अमेरिकी अधिकारियों से भेट !
इस वीडियो में जयशंकर ने अमेरिका के परराष्ट्र मंत्री एंटनी ब्लिंकन, सुरक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन, वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो एवं व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई के साथ ही अन्य अधिकारियों के साथ की चर्चा की क्षणिकाओं का समावेश किया है । जयशंकर ने ऑस्टिन के साथ ‘भारत-अमेरिका द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग’ एवं ‘वैश्विक सुरक्षा का आवाहन’ पर चर्चा की । इस दौरे में जयशंकर ने विविध व्यासपीठों पर कैनडा के संदर्भ में स्पष्ट कहा कि कैनडा अपनी भूमि का उपयोग खालिस्तानी आतंकियों को नहीं करने देता है ।
India and US: Expanding Horizons.
As I conclude a visit to Washington D.C. pic.twitter.com/wFlEdWrDg7
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) October 1, 2023
संपादकीय भूमिकागत कुछ वर्षों में भारत और अमेरिका निकट भले ही आए हों, तब भी अमेरिका की मूल मनोवृत्ति भारत ने पहचान ली है और अब उसे भूलना नहीं है ! |