उत्तराखंड के नैनीताल में भी भूमि धंसना आरंभ होने के कारण २५० घरों को किया जा रहा है रिक्त !

१० सहस्र लोग संकट में

नैनीताल (देहरादून) – उत्तराखंड के जोशी मठ क्षेत्र में भूस्खलन के कारण घरों में दरारें आने कारण वहां के लोगों को स्थलांतरित किए जानेकी घटना के उपरांत अब राज्य के नैनीताल में भी भूमि धंसती जा रही है । यहां की आल्मा पहाडी पर स्थित ४ घर धंस जाने से गिर गए । प्रशासन ने तत्परता से यहां के २५० घरों के सदस्यों को घर रिक्त करने के आदेश दिए हैं । लोगों को इसलिए ३ दिन का समय दिया गया है । आल्मा पहाडी सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्र है । यहां रहनेवाले १० सहस्र लोगों पर संकट मंडरा रहा है ।

भूवैज्ञानिक प्रो. सी.सी. पंत ने कहा कि नैनीताल की भूवैज्ञानिक रचना अन्य पहाडी क्षेत्रों के गांवों से भिन्न है । भूवैज्ञानिक गतिविधियों के कारण पहाड कमजोर होते जा रहे हैं । यहां जोशीमठ से बडा संकट आ सकता है । पीछले २० वर्षाें में इस पहाडी पर भारी मात्रा में निर्माणकार्य हुआ है । यह पहाडी तलहटी में ही कमजोर है । शोधकर्ताओं ने कई बार इस विषय में चेतावनी दी है । परंतु प्रशासन द्वारा अनदेखी की जाने के कारण आज भी निर्माणकार्य जारी है ।

वर्ष १८८० के भूस्खलन में हुई थी १५१ लोगों की मृत्यु 

वर्ष १८८० में अंग्रेजों के शासनकाल के समय इस पहाडी पर बडा भूस्खलन हुआ था । इसमें १५१ लोगों की मृत्यु हुई थी । दुर्घटना के उपरांत अंग्रेजों ने पहाडी पर निर्माण कार्य करने के लिए प्रतिबंध लगाया था । वर्तमान में इसी पहाडी पर १० सहस्रों भी अधिक लोगों की बस्ती है ।