‘मेरे बहुत ही निकट के सम्बन्धी पिछले चार वर्षों से त्वचा की समस्याओं और विशेष रूप से मुख पर लाल लाल चकत्तों के लिये कई त्वचा विशेषज्ञों से उपचार करा रहे थे । धूप में जाते ही उनकी समस्या बहुत बढ़ जाती थी। पिछले एक मास से अचानक उनकी पूरी देह पर लाल दाने हो गये और उनमें खारिश होने लगी और वह लगातार बढ़ने लगे। एक दिन मैंने जब उनकी टांगों, छाती आदि पर ये लाल दाने देखे तो पहले तो मुझे सन्देह हुआ कि वह अण्डे, मांस, खट्टा और तीखा आदि कर सेवन करते होंगे । जिसके कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है । परन्तु फिर ध्यान आया कि वे तो पिछले १५ वर्षों से कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिये ‘स्टैटिन औषधि’ ले रहे हैं।
१.औषधियों के दुष्परिणामों पर हुए शोध से त्वचारोग होने के पीछे का कारण समझ में आया
उसके उपरांत ऐसी औषधियों जैसे ‘एटोरवैस्टैटिन’ (Atorvastatin) के त्वचा पर होनेवाले दुष्प्रभावों पर मैंने कुछ शोध लेख पढ़ने आरम्भ किए । अनेक शोध पत्रों में इनका त्वचा रोगों से सीधा संबंध है यह स्पष्ट किया है । यह देख कर मैं चकित रह गया कि मेरे संबंधि के त्वचा पर चकते भी वैसे ही हैं जैसे इन लेखों में बताए गए हैं । यह देख कर मैं आश्चर्य चकित रह गया कि जब वैद्यकीय नियतकालिकों में यह सब छप चुका है तो क्यों किसी भी बड़े से बड़े डाक्टर का ध्यान इस ओर नहीं गया।
२. हृदय रोग से बचाने के लिए ली जा रहीं औषधि बंद करने पर त्वचारोग में हुआ विशेष अंतर ध्यान में आया
यह औषधियां कोलेस्ट्रॉल न्यून कर हृदय रोग से बचाने के लिए जा रहीं थी, इसलिए यह निर्णय लेना कठिन था । पर लगा केवल दस दिन के लिये यह औषधियां बन्द कर देखते हैं । आश्चर्यजनक था कि मात्र पांचवे दिन ही चमत्कारिक रूप से पर्याप्त अन्तर दिखाई देने लगा और दसवें दिन तक संपूर्ण त्वचा ठीक हो चुकी थी । इतना ही नहीं तो तेज धूप में पर्याप्त समय बैठने पर भी उन्हें कोई एलर्जिक रिएक्शन नहीं हुआ । अभी पता चला है कि हमारे एक और सम्बन्धी को भी मुख पर दाने हो रहे हैं और वह भी धूप में नहीं जा सकते । विशेष बात यह है कि वे भी कई वर्ष से कोलेस्ट्रॉल न्यून करने के लिये ‘स्टैटिन’ ले रहे हैं।
३. नवीन शोधों की अवहेलना करने से नहीं चलेगा !
इन रसायनिक औषधियों के कारण न जाने कितने लोग अनेक रोगों से ग्रस्त होते हैं, स्थितियां बिगड़ती रहती हैं, नई नई औषधियां बढ़ती जाती हैं; पर किसी का ध्यान इस ओर नहीं जाता कि कहीं यह समस्या किसी औषधि के कारण तो नहीं है । केवल ‘प्रोटोकॉल’ बने हुए हैं । जिनसे हमारे डाक्टर बंधे हुए हैं तथा नवीन शोधों की पूर्णतः अवहेलना की जा रही है । बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल विशेष रूप से ‘एल्.डी.एल्.’ पर भी नए शोध में सामने आया है कि यह हृदय के रोगों का ऐसा कोई विशेष कारण नहीं है, जिसके लिए ऐसी हानिकारक औषधियां पूरे जीवनभर दी जाएं।
– डॉ. विवेक शील अग्रवाल, देहली