मंदिरों में प्रवेश करते समय संस्कृतिनुसार वस्त्र परिधान करने चाहिए ! – दिगंबर महाले, अध्यक्ष, श्री मंगलग्रह सेवा संस्था, अमलनेर (जिला जलगांव)

मंगलग्रह मंदिर में ‘वीआईपी’ प्रवेशपद्धति नहीं है और न ही मंदिर में विश्वस्तों के नाम का एक भी फलक है । मंदिर में सभी को हमने ‘सेवक’ इसप्रकार का परिचयपत्र दिया है । मंदिरों की वस्त्रसंहिता प्रथम मंगलग्रह मंदिर में लागू की गई है । इसका कुछ लोगों ने विरोध किया; जबकि श्रद्धालुओं ने वस्त्रसंहिता का समर्थन किया ।

दिगंबर महाले, अध्यक्ष, श्री मंगलग्रह सेवा संस्था, अमलनेर (जिला जलगांव)

मंदिर में छोटे और अल्प वस्त्र पहनकर आनेवालों को हम नम्रता से पूर्ण वस्त्र देते हैं और उसे परिधान कर ही मंदिर में प्रवेश करने की विनती करते हैं । मंदिरों में प्रवेश करते समय अपनी संस्कृतिनुसार वस्त्र परिधान करने चाहिए, ऐसे उद्गार अमलनेर (जिला जलगांव) के ‘श्री मंगलग्रह सेवा संस्था’के अध्यक्ष श्री. दिगंबर महाले ने किए । वे यहां चल रहे वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के सातवें दिन उपस्थितों को संबोधित कर रहे थे ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के विषय में गौरवोद्गार !

. ‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के दर्शन से जीवन कृतार्थ हुआ । उनसे इतनी ऊर्जा मिली है कि उसका वर्णन मैं शब्दों में नहीं कर सकता । जहां शब्द समाप्त हो जाते हैं, वहीं से उनकी शक्ति आरंभ हो जाती है । उन्होंने हमें जो ज्ञानामृत दिया है, उसे हम यहां से लेकर जाएंगे ।

. हमने सेवाभाव हिन्दू जनजागृति समिति से सीखा है ।

. सनातन के साधकों में भी नम्रता एवं सेवाभाव देखने मिलता है ।’

– श्री. दिगंबर महाले, अध्यक्ष, श्री मंगलग्रह सेवा संस्था, अमलनेर (जिला जलगांव)