मंगलग्रह मंदिर में ‘वीआईपी’ प्रवेशपद्धति नहीं है और न ही मंदिर में विश्वस्तों के नाम का एक भी फलक है । मंदिर में सभी को हमने ‘सेवक’ इसप्रकार का परिचयपत्र दिया है । मंदिरों की वस्त्रसंहिता प्रथम मंगलग्रह मंदिर में लागू की गई है । इसका कुछ लोगों ने विरोध किया; जबकि श्रद्धालुओं ने वस्त्रसंहिता का समर्थन किया ।
मंदिर में छोटे और अल्प वस्त्र पहनकर आनेवालों को हम नम्रता से पूर्ण वस्त्र देते हैं और उसे परिधान कर ही मंदिर में प्रवेश करने की विनती करते हैं । मंदिरों में प्रवेश करते समय अपनी संस्कृतिनुसार वस्त्र परिधान करने चाहिए, ऐसे उद्गार अमलनेर (जिला जलगांव) के ‘श्री मंगलग्रह सेवा संस्था’के अध्यक्ष श्री. दिगंबर महाले ने किए । वे यहां चल रहे वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के सातवें दिन उपस्थितों को संबोधित कर रहे थे ।
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के विषय में गौरवोद्गार !१. ‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के दर्शन से जीवन कृतार्थ हुआ । उनसे इतनी ऊर्जा मिली है कि उसका वर्णन मैं शब्दों में नहीं कर सकता । जहां शब्द समाप्त हो जाते हैं, वहीं से उनकी शक्ति आरंभ हो जाती है । उन्होंने हमें जो ज्ञानामृत दिया है, उसे हम यहां से लेकर जाएंगे । २. हमने सेवाभाव हिन्दू जनजागृति समिति से सीखा है । ३. सनातन के साधकों में भी नम्रता एवं सेवाभाव देखने मिलता है ।’ – श्री. दिगंबर महाले, अध्यक्ष, श्री मंगलग्रह सेवा संस्था, अमलनेर (जिला जलगांव) |