रामनाथी, २१ जून (संवाददाता) – आदिवासियों का धर्मांतरण करने के लिए ईसाई मिशनरी षड्यंत्र रच रहे हैं । ईसाई मिशनरी आदिवासियों की आर्थिक सहायता कर उनमें स्वयं के प्रति सहानुभूति उत्पन्न कर रहे हैं । इससे ही धर्मांतरण होता है । ईसाई मिशनरी आदिवासियों के घर जाकर उनसे निकटता बढाते हैं तथा उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं; परंतु हिन्दू संगठन आदिवासियोंतक नहीं पहुंचते और ऊपर से ‘आदिवासी धर्मांतरण करते हैं’, ऐसा बोलते रहते हैं । प्रत्येक आदिवासी परिवार के घर के सामने तुलसी होती है, उनके माथे पर तिलक होता है तथा प्रत्येक व्यक्ति के घर में गाय होती है; परंतु ऐसा होते हुए भी ‘आदिवासी धर्मांतरण क्यों करते हैं ?’, इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए ।
आदिवासियों का धर्मांतरण रोकने के लिए हिन्दुओं को नीचले स्तरतक जाकर आदिवासियों को धर्म के प्रति जागृत करना पडेगा । आदिवासियों का धर्मांतरण करने के लिए हम आदिवासी परिवारोंतक पहुंच गए । आदिवासी युवक-युवतियों के सामूहिक विवाह कराना, युवकों के लिए खेलों का आयोजन करना तथा महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करा देना; इसके लिए हमने प्रयास किए । अभीतक हमने ९ सहस्र आदिवासी भाई-बहनों की घरवापसी कराई है । मुगलों एवं अंग्रेजों के आक्रमण के उपरांत भी हमारे पूर्वजों ने हिन्दू धर्म नहीं छोडा, इस पर हमें गर्व होना चाहिए, ऐसा प्रतिपादन नवसारी (गुजरात) के ‘अग्निवीर’ संगठन के श्री. महेंद्र राजपुरोहित ने किया । यहां चल रहे वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के छठे दिन (२१.६.२०२३ को) उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।