दुर्गाडी किले पर धर्मवीर संभाजी महाराज की जयंती मनाने के लिए पुलिस ने अनुमति अस्वीकार की !

ठाणे (महाराष्ट्र) १४ मई (वार्ताहर) – कल्याण के दुर्गाडी किले पर कथित ईदगाह (नामज पठन के मैदान) को लेकर हिन्दू समाज एवं मुसलमान में विवाद चल रहा है । इस प्रकरण की आड में कल्याण के हटिया थाने की पुलिस ने १४ मई को दुर्गाडी किले पर धर्मवीर संभाजी महाराज की जयंती मनाने की अनुमति देना अस्वीकार कर दिया है । किले पर संभाजी महाराज की जयंती मनाने के लिए पुलिस ने जिलाधिकारी के अनुमतिपत्र की मांग की है । (‘धर्मवीर संभाजी महाराज की जयंती मनाने से विवाद उत्पन्न होगा’, ऐसा लगता हो; तो ऐसा विवाद करनेवालों पर कार्यवाही होनी चाहिए । परंतु ऐसा करने की अपेक्षा जयंती को ही अनुमति न देनेवाली महाराष्ट्र की पुलिस शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र की है अथवा पाकिस्तान की ? – संपादक)

१. यहां के समस्त शिवप्रेमियों की ओर से दुर्गाडी किले पर धर्मवीर संभाजी महाराज की जयंती अंग्रेजी पंचांग के अनुसार मनाने की योजना थी । इस अवसर पर किले के श्री दुर्गादेवी मंदिर में आरती की जानेवाली थी । साथ ही धर्मवीर संभाजी महाराज का तेजस्वी इतिहास कथन किया जानेवाला था ।

२. कल्याण के स्थानीय मुसलमानों ने मूलतः दुर्गाडी किले पर स्थित दुर्गादेवी का मंदिर मस्जिद होने का दावा किया था । अतः उन्होंने यह स्थान वक्फ मंडल के पास हस्तांतरित करने की मांग की थी । इस हेतु उन्होंने कल्याण के जिला सत्र न्यायालय में याचिका भी प्रविष्ट की थी; परंतु न्यायालय ने यह याचिका अस्वीकार कर दी है ।

३. अप्रैल में इसी विवादास्पद स्थान पर रमजान ईद मनाने तथा किले पर मंडप बनाने के लिए पुलिस ने अनुमति दी थी; परंतु कथित ईदगाह के निर्माणकार्य के स्थान पर न जाने का आश्वासन देते हुए भी किले के दुर्गादेवी के मंदिर के प्रांगण में धर्मवीर संभाजी महाराज की जयंती मनाने के लिए पुलिस रोडे अटका रही है ।

संपादकीय भूमिका

  • दुर्गाडी महाराष्ट्र में है अथवा पाकिस्तान में ?
  • धर्मांध मुसलमानों के भय से शिवकालीन किले पर धर्मवीर संभाजी महाराज जयंती के लिए अनमुति न देनेवाली पुलिस का गृहविभाग में होना, महाराष्ट्र सरकार के लिए लज्जास्पद घटना है ! यह स्थिति हिन्दू राष्ट्र की अनिवार्यता स्पष्ट करती है !
  • क्या धर्मवीर आनंद दिघे धर्म के भय से महाराष्ट्र में धर्मवीर संभाजी महाराज की जयंती मनाने के लिए पुलिस द्वारा हो रहे विरोध से संतुष्ट होते ?, ऐसा प्रश्न हिन्दुओं के मन में उपस्थित होता है !