ईसाई धर्म स्वीकारने वाले दलितों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए ! – तमिलनाडू विधानसभा में प्रस्ताव सम्मत  

विधानसभा में बोलते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टैलिन

चेन्नई – ईसाई धर्म स्वीकारने वाले दलितों को भी अनुसूचित जाति को दिए जानेवाले आरक्षण का लाभ मिलने हेतु तमिलनाडु विधानसभा में प्रस्ताव सम्मत किया गया । इस प्रस्ताव में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टैलिन ने केंद्र की मोदी सरकार को ईसाई धर्म स्वीकार करनेवाले आदि द्रविडों को आरक्षण देने हेतु संविधान में सुधार करने की विनती की । धर्म परिवर्तन करने से द्रविड आदि का विशेषाधिकार समाप्त नहीं होता, इस प्रस्ताव में ऐसा कहा गया है । वर्ष २०१५ में सर्वोच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा था कि जब कोई व्यक्ति हिन्दू धर्म का त्याग कर ईसाई बनता है, तब हिन्दू धर्म में मिलनेवाली सामाजिक तथा आर्थिक सुविधाएं समाप्त होती हैं ।

मुख्यमंत्री स्टैलिन ने कहा कि,

१. संविधान (अनुसूचित जाति आदेश १९५० के अनुसार केवल हिन्दुओं को अनुसूचित जाति के रुप में वर्गीकृत कर सकते हैं, तथापि, १९५६ में सिक्खों को एवं १९९० में बौद्ध लोगों को सम्मिलित करने हेतु इसमें सुधार किया गया ।

२. ईसाई धर्म स्वीकारने वाले आदि द्रविडों को भी लाभ मिलने हेतु इसी प्रकार सं‍विधान में सुधार अपेक्षित है । (धर्मपरिवर्तन को प्रोत्साहन देना संविधान के अनुसार अपराध है । इसलिए ऐसी मांग करनेवालों के विरुद्ध धर्मपरिवर्तन को प्रोत्साहन देने के कारण अभियोग प्रविष्ट करना ही उचित होगा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

३. धर्मपऱिवर्तन करनेवाले अनुसूचित जाति के हैं तथा उन्हें अनुसूचित जाति का स्तर देना उचित होगा । इससे उन्हें शिक्षा, रोजगार आदी में सामाजिक न्याय का लाभ लेने में सहायता होगी । अन्य धर्म में परिवर्तन करने पर उनका अधिकार अस्वीकार नहीं किया जा सकेगा ।

संपादकीय भूमिका 

ऐसा प्रस्ताव सम्मत कर द्रमुक सरकार ने एकप्रकार से धर्मपरिवर्तन को प्रोत्साहन दिया है । इससे ईसाई धर्मप्रचारक दलितों का बडी मात्रा में धर्मपरिवर्तन करेंगे । हिन्दू धर्म के बल पर उठे द्रमुक सरकार को नीचे लाने हेतु अब वहां के हिन्दुओं को ही प्रयास करना आवश्यक है  !