भारत को अपने शत्रूओं को पहचान कर उनसे तुलनीय व्यवहार करना चाहिए  !

बिना पाकिस्तान और चीन का नाम लिए यूक्रेन का परामर्श !

यूक्रेन की उप विदेश मंत्री एमिन जापरोवा

कीव (यूक्रेन) – यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर झेलेंस्की ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मानवीय सहायता की मांग की है। भारत भेंट पर आए यूक्रेन की उप विदेश मंत्री एमिन जापरोवा ने यह पत्र भारत की विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी को एक बैठक में दिया। उन्होंने चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बिना भारत को सलाह भी दी कि भारत को उन शत्रूऒ॑ को पहचानना चाहिए , जो समझते हैं कि वे त्रुटिपूर्ण  काम करके भी बच सकते हैं।

एमिन जापरोवा ने यहां आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध खराब हुए हैं। क्रीमिया में जो हुआ उससे भारत को सीख लेनी चाहिए। जब कोई चूक होती है एवं उसे न रोका जाए तो वह अति दुसाध्य समस्या बन जाती है।

यूक्रेन भारत को परामर्श देने की स्थिति में नहीं !

भारत-रूस तेल संधि का उल्लेख करते हुए, जापरोवा ने स्पष्ट किया कि भारत यह निर्धारित करने की स्थिति में नहीं है कि यूक्रेन को अन्य देशों के साथ संबंध कैसे बनाए रखने चाहिए। वास्तव में यूक्रेन पर आक्रमण के उपरांत रूस पर अनेक प्रतिबंध लगाए गए थे। ऐसा होते हुए भी भारत रूस से कम मूल्य पर तेल क्रय कर रहा है और उसके माध्यम से अपने नागरिकों को राहत दे रहा है।

हम भारत से अच्छे संबंध रखना चाहते हैं !

उप विदेश मंत्री एमिन जापरोवा ने कहा कि हम भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। रशिया – यूक्रेन युद्ध काल में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल  ३ बार मास्को भेंट पर गए । यदि वे यूक्रेन आते हैं, तो उनका स्वागत है। हम चाहते हैं कि वे यूक्रेन आएं। (भारत द्वारा धारा ३७० को समाप्त करने के उपरांत संयुक्त राष्ट्र संघ में यूक्रेन ने भारत के विरुद्ध मत दिया था । ऐसे अनेक उदाहरण हैं। ऐसे देश से भारत कैसे अच्छे संबंध स्थापित कर सकता है? – संपादक)

संपादकीय भूमिका 

भारत के शत्रुओं की तो बात ही छोड़िए, क्या यूक्रेन ने अपने मित्रों को भी पहचाना है? अमेरिका और यूरोपीय देशों के आश्रय से यूक्रेन  रूस से दो हाथ करने निकला है। उसका प्रतिफल वह आज भुगत रहा है। अत: यूक्रेन को,  भारत को यह परामर्श  देने के साथ-साथ सर्वप्रथम इसकी पहचान करनी चाहिए कि ‘उसके सहयोगी कौन हैं ?’