बीजिंग (चीन) – चीन के ‘२०२० चांग’इ-५’ के अंतरिक्ष अनुसंधान मुहिम के समय लाए गए मिट्टी के उदाहरणों (नमूनों) के अध्ययन के उपरांत मत व्यक्त किया गया है कि चांद पर ३० सहस्र करोड लिटर पानी होने की संभावना है । चांद पर जब पुच्छल तारे (कोमेट्स) गिरते हैं, तब कांच की भांति वर्तुलाकार पदार्थों की निर्मिति होती है । उसमें पानी का निर्माण हो सकता है । ‘नेचर जियोसाइंस’ नामक वैश्विक विज्ञान नियतकालिक के वर्तमान अंक में इस संदर्भ में जानकारी प्रकाशित की गई है ।
#China के वैज्ञानिकों का दावा… चंद्रमा पर कांच की मोतियों में जमा है 30 हजार करोड़ लीटर पानी https://t.co/LEF6jXL4qC
— AajTak (@aajtak) March 29, 2023
ग्रहों से संबंधित वैज्ञानिक सेन हू ने जानकारी दी है किपुच्छल तारा गिरने के उपरांत अथवा उल्कापात (टूटते हुए तारे) होने के पश्चात चांद की भूमि पर कुछ मायक्रॉन से लेकर एक मिलिमीटर व्यास के अरबों कांच सदृश वर्तुलाकार पदार्थों की निर्मिति होती है । जब चांद पर सौर वायु बहती है, तब उसके साथ हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन भी बडी मात्रा में आते हैं । चांद पर स्थित वर्तुलाकार पदार्थों पर भी ऑक्सीजन होती है । उनका एकत्रीकरण होने से पानी बनता है । इस अध्ययन से सामने आया है किकुछ वर्षों के पश्चात पानी का नवनिर्माण होता है ।
ब्रिटेन के ‘ओपन युनिवर्सिटी’ के खगोलशास्त्र के प्राध्यापक महेश आनंद ने इस शोध को अत्यंत रोचक बताया है तथा कहा है कि यह शोध हमें चांद के विषय में अधिक विश्वासपूर्ण जानकारी देने में उपयोगी होगा ।