संपन्न (धनवान) देशों के कारण होनेवाली वैश्विक तापमान वृद्धि का सबसे अधिक प्रहार निर्धन देशों पर होता है ! – प्रधान मंत्री मोदी

देहली में जी-२० देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक

नई देहली – विश्व की महत्त्वपूर्ण समस्याएं हल करने हेतु निर्मित संस्थाएं बडी चुनौतियों का सामना करने में असफल सिद्ध हुई हैं । अनेक वर्ष की उन्नति के उपरांत, आज हम सतत विकास के लक्ष्यों में पीछे जाने का संकट उठा रहे हैं । ‍वर्तमान में अनेक विकासशील देश अन्न तथा ऊर्जा सुरक्षा हेतु ऐसे ऋण के नीचे दब गए हैं, जो ये हल करने में असमर्थ हैं । धनवान देशों के कारण होनेवाले वैश्विक तापमान वृद्धि का सबसे अधिक प्रहार निर्धन देशों पर होता है । इसलिए भारत ने ‘जी-२०’ की अध्यक्षता में दक्षिण भाग की आवाज बनने का प्रयास किया है । यहां आयोजित जी-२० देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में बोलते समय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा मार्गदर्शन किया । अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन तथा फ्रांस के साथ विश्व के २० प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के प्रतिनिधि इसमें सम्मिलित हुए हैं ।

बैठक के उद्घाटन सत्र में प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि हम ऐसे समय मिल रहे हैं जब विश्व में गहरी दूरी हो गई है । गत कुछ वर्षों में हमने आर्थिक संकट, मौसम परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद तथा युद्ध देखे । इससे स्पष्ट हो गया है कि ग्लोबल गवर्नेंस असफल सिद्ध हुआ है ।

यदि कुछ सूत्रों पर एकमत नहीं हुआ, तो एकत्रित आकर समाधान ढूंढेंगे ! – डॉ. एस. जयशंकर

इस समय भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि जी-२० देशों पर एक विलक्षण दायित्व है । वैश्विक संकट के समय हम प्रथम बार एकत्रित आए तथा आज पुन: एक बार कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध, मौसम परिवर्तन ऐसे अनेक संकटों का सामना कर रहे हैं । इन सूत्रों पर हमें एकमत होना ही चाहिए, ऐसा नहीं है; परंतु एकत्रित आकर समाधान निकालना पडेगा ।