आत्महत्या करनेवाले अधिकतर विद्यार्थी दलित तथा आदिवासी ! – मु्ख्य न्यायाधीश चंद्रचूड का दावा

भाग्यनगर (तेलंगाना) – भाऱत मे मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड ने कहा, ‘समाज के किसी उपेक्षित वर्ग के प्रति सहानुभूति न होने के कारण जो भेदभाव बढा है, उसके कारण विद्यार्थियों की आत्महत्या बढी है । प्राध्यापक सुखदेव थोराट ने नोट किया है कि आत्महत्या के कारण मरनेवाले अधिकांश विद्यार्थी दलित तथा आदिवासी हैं ।’ वह यहां ‘नॅशनल अ‍ॅकॅडमी ऑफ लीगल स्टडीज अँड रिसर्च युनिव्हर्सिटी ऑफ लॉ’ के १९ वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे ।

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड ने आगे कहा कि,

१. हमने पिछले ७५ वर्षों में प्रतिष्ठित संस्थाओं को निर्माण करने पर ध्यान केंद्रित किया; परंतु इससे अधिक हमें सामाजिक संवेदशीलता दिखानेवाले संस्थान निर्माण करने की आवश्यकता है । भेदभाव का सूत्र सीधे संवेदशीलता के अभाव से जुडा है ।

२. न्यायाधीश कभी भी सामाजिक वास्तविकता से दूर नहीं जा सकता है ।न्यायिक संवाद विश्वभर में एकसमान है । अमेरिका में कृष्ण वर्ण के जॉर्ज फ्लॉइड की हत्या के उपरांत जब ‘ब्लॅक लाइव्स मॅटर’ (कृष्ण वर्ण के जीवन का भी महत्त्व है !) यह आंदोलन उभरा, तब अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के सभी ९ न्यायाधिशों ने कृष्णवर्ण के जीवन का पतन होने के कारण न्यायव्यवस्था को एक संयुक्त निवेदन प्रस्तुत किया था । उसके अनुसार भारत के नयायधिशों को न्यायलय के भीतर तथा न्यायलय के बाहर समाज से संवाद साधना चाहिए ।