केरल के प्रसिद्ध गुरुवायुर मंदिर के पास १ सहस्र ७३७ करोड रुपए की संपत्ति ! – सूचना अधिकार में विवरण उजागर

त्रिसुर (केरल) – यहां के गुरुवायुर में प्रसिद्ध श्रीकृष्ण मंदिर के पास १ सहस्र ७३७ करोड रुपए की बैंक संपत्ति तथा २७१.०५ एकड भूमि है, ‘सूचना अधिकार में’ मंगवाए उत्तर में यह जानकारी प्राप्त हुई है । गुरुवायुर के मूल निवासी एवं ‘प्रॉपर चैनल’ के अध्यक्ष एमके हरिदास ने सूचना अधिकार के माध्यम से यह जानकारी मांगी थी । भूमि का मूल्य निश्चित करना शेष है ।

१. यद्यपि मंदिर में भक्तों द्वारा अर्पण किए गए सोने, चांदी तथा मूल्यवान पत्थरों का एक विशाल संग्रह है, किंतु मंदिर प्रबंधन ने सुरक्षा कारण को लेकर विवरण तथा उसका मूल्य बताना अस्वीकार किया ।

२. मंदिर व्यवस्थापन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार वर्ष २०१६ में राज्य में माकप आघाडी की पिनाराई विजयन सरकार सत्ता में आने पर आजतक मंदिर को कोई भी आर्थिक सहायता नहीं मिली है । इस संदर्भ में उच्च न्यायालय के आदेश के पश्चात भी वर्ष २०१८-१९ में आई बाढ के उपरांत ‘मुख्यमंत्री आपत्कालीन सहायता निधि’ में योगदान किए गए १० करोड रुपए अब तक मंदिर को वापस नहीं मिले । (न्यायालय के आदेश का अपमान करनेवाली सरकार के विरुद्ध न्यायालय को कठोर कार्यवाही करनी चाहिए, भक्तों को ऐसा प्रतीत होता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

मंदिर व्यवस्थापन निष्क्रिय ! – एम.के. हरिदास द्वारा आरोप

एमके हरिदास इस मंदिर में आनेवाले भक्त हैं । उन्होंने कहा कि व्यवस्थापन ने सदैव मंदिर के विकास की अनदेखी की है । उनकी निष्क्रियता ने सूचना अधिकार के अंतर्गत जानकारी प्राप्त करने पर विवश किया । इतनी बैंक धरोहर तथा अन्य संपत्ति होते हुए भी व्यवस्थापन मंदिर तथा भक्तों के लिए कुछ भी नहीं करते । व्यवस्थापन मंदिर के पास एक चिकित्सालय चला रहा है; परंतु उसकी स्थिति भी दयनीय है । प्रसाद वितरण तथा देवस्थान की दैनंदिन विधि के विषय में भी निष्क्रियता है । (इस स्थिति को परिवर्तित करने हेतु मंदिरों का सरकारीकरण रद्द कर मंदिर भक्तों के नियंत्रण में देना ही एकमात्र समाधान है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

संपादकीय गूमिका

  • मंदिरों की यह निधि हिन्दू धर्मप्रचार, धर्मरक्षा तथा धर्मशिक्षा के लिए व्यय (खर्च) होना आवश्यक है; परंतु मंदिरों के सरकारीकरण के कारण यह कभी संभव नहीं होगा; इसलिए हिन्दुओं के मंदिर सरकारीकरण से मुक्त करने हेतु संगठित होकर प्रयास करने चाहिए !