न्यायालय का मत है कि गोद देने के नाम पर माता-पिता ने पैसों के लिए पुत्री को बेच दिया !
बेंगलुरू (कर्नाटक) – कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक मुसलमान दंपत्ति द्वारा जन्म से पूर्व एक हिन्दू दंपत्ति की पुत्री को गोद लेने की याचिका को अस्वीकार कर दिया । न्यायालय ने कहा कि इस प्रकार के प्रकरण के लिए कोई कानून नहीं है । ऐसा प्रकरण कानून के लिए भी नया है । न्यायालय ने इसे ‘पैसे देकर गोद लेने का प्रकरण ‘ भी बताया ।
‘Unheard in law’: Karnataka high court junks ‘pact’ to adopt unborn child https://t.co/P6p9KoLGs9
— The Times Of India (@timesofindia) December 11, 2022
इस संबंध में उडुपी न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय को उच्च न्यायालय ने अबाधित रखा था । इस न्यायालय ने भी मुस्लिम दंपत्ति की मांग को अस्वीकार कर दिया। इस समय, न्यायालय ने बाल कल्याण समिति को निर्देश दिया कि यदि लड़की के माता-पिता उनसे संपर्क करते हैं तो उचित कदम उठाएं ।
न्यायालय ने कहा कि गोद लेने का समझौता २१ मार्च, २०२० को हुआ था, तथा ५ दिन के उपरांत कन्या का जन्म हुआ । इसका अर्थ है कि गोद लेने वालों और बालिका को जन्म देने वालों द्वारा बालिका के अधिकारों का हनन किया गया है । कानून ऐसे गोद लेने को मान्यता नहीं देता है । ऐसा समझौता मौलिक रूप से आश्चर्यजनक है । ऐसे प्रकरणों के लिए जिला बाल संरक्षण शाखा जिम्मेदार है । यदि लड़की के माता-पिता गरीबी के कारण बच्ची को गोद दे रहे थे तो वे बच्ची को संबंधित बाल कल्याण अधिकारियों को सौंप सकते थे । सरकार ने गरीबी उन्मूलन के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं । यदि इन माता-पिता में आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान होगा तो वे बैंक से ऋण लेकर परिवार चला सकते हैं । यह असह्य है कि इन मांता- पिता ने गोद देने के नाम पर बच्ची को पैसे के लिए बेच दिया है ।