भारत के बुद्धिवादी ही देश के विरुद्ध हैं ! – ऑस्ट्रेलिया के प्रा. सॅल्वाटोर बेबोनेस

ऑस्ट्रेलिया के प्राध्यापक सॅल्वाटोर बेबोनेस

मुंबई – ऑस्ट्रेलिया के ‘युनिवर्सिटी ऑफ सिडनी’ के सहायक प्राध्यापक सॅल्वाटोर बेबोनेस ने प्रभावशाली प्रतिपादन किया है कि भारत में धार्मिक हिंसा के विषय में, विशेषतः उत्तर प्रदेश की हिंसा के विषय में बहुत चर्चा होती है । अफ्रिकी खंड के रवांडा एवं बुरुंडी में भी उत्तर प्रदेश जैसी ही धार्मिक हिंसा हुई; परंतु इस प्रकरण में केवल उत्तर प्रदेश का नाम बडे स्तर पर लिया गया । बिहार की जैसी स्थिति है, वैसी ही स्थिति कांगो देश की भी है; परंतु चर्चा बिहार की ही अधिक होती है । भारत के संदर्भ में एक प्रतिमा का निर्माण किया गया है जो अत्यंत संकटकारी है । अवास्तविक जानकारी के आधार पर भारत की प्रतिमा बिगाडने का प्रयास किया जाता है । ‘इंडिया टुडे कॉनक्लेव’ में ‘इंडिया टुडे’ के पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने उनका साक्षात्कार लिया, उस समय वे ऐसा बोल रहे थे ।

१. प्रा. बेबोनेस ने आगे कहा कि भारत का बुद्धिवादी दल देशविरोधी है । भारत की प्रतिमा तानाशाह (कम्युनिस्ट) जैसी दिखाने के पीछे भारत के इन्हीं बुद्धिवादी एवं अंतरराष्ट्रीय प्रसारमाध्यमों का हाथ है । विश्व एवं वैश्विक प्रसारमाध्यमों को भारत के विषय में उचित जानकारी नहीं है ।

२. प्रा. बेबोनेस ने कहा कि भारत विश्व के स्तर पर सबसे बडा यशस्वी लोकतांत्रिक देश है । भारत ने स्‍वयं को दासता से मुक्त कर वैश्विक स्तर पर सिद्ध किया है ।

(संपूर्ण मुलाखत) सौजन्य: India Today

वैश्विक भूख सूचकांक अनुचित पद्धति से तैयार किया गया (वर्ल्ड हंगर इंडेक्स गलत सिद्ध हुआ) !

वैश्विक भूख सूचकांक के विषय में प्रा. बेबोनेस ने स्पष्ट किया कि यह सूचकांक अनुचित पद्धति से तैयार किया गया था । यह सूचकांक सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किया जाता है । अब प्रश्न है कि सर्वेक्षण करनेवालों ने यह जानकारी किन लाोगों से प्राप्त की थी ? इनमें बुद्धिवादी, विदेशी एवं भारतीय छात्र, निजी संस्थाएं तथा मानवाधिकार संगठनों से संबंधित लोग थे । उनकी भारत विरोधी मानसिकता के कारण भारत को इस सूचकांक में खराब स्तर पर दिखाया गया है ।

संपादकीय भूमिका

हिंदुत्वनिष्ठों ने नहीं, अपितु एक विदेशी प्राध्यापक द्वारा ऐसा कहना, क्या भारत के बुद्धिवादी स्वीकार करेंगे ? धर्मप्रेमी हिन्दुओं को वैचारिक रूप से भारत की राष्ट्र-हत्या एवं धर्म-हत्या करने वाले बुद्धिजीवियों का विरोध करते रहना चाहिए !