भारत में हलाल प्रमाणपत्र देनेवाले संगठनों द्वारा ‘२६/११’के आतंकवादी आक्रमण के आरोपियों के अभियोग के लिए आर्थिक सहायता !

मुंबई – जिस स्थान पर ‘२६/११’ का आतंकवादी आक्रमण हुआ था, उसी मुंबई के होटल ताज में २८ अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संपन्न हुई । जिन मृतात्माओं को श्रद्धांजलि देकर परिषद का प्रारंभ हुआ, उस आतंकवादी कार्रवाईयों के आरोपियों का अभियोग लडने के लिए ‘जमियत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट’ नामक हलाल प्रमाणपत्र देनेवाले संगठन द्वारा आर्थिक सहायता की गई । देश के परराष्ट्रमंत्री डॉ. एस्. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा, ‘‘आतंकवादियों को हो रही आर्थिक सहायता ही आतंकवादी कार्रवाईयों का मूल है ।’’ इस पृष्ठभूमि पर आतंकवादी कार्रवाईयों के आरोपियों को हो रही अर्थसहायता का विषय गंभीर माना जा रहा है । ‘ओपी इंडिया’ नामक ‘न्यूज पोर्टल’ पर १९ फरवरी २०२२ को संदर्भ सहित यह वृत्त प्रसारित हुआ है । इस प्रकरण में प्रश्न उपस्थित किया जा रहा है, ‘‘क्या जमियत उलेमा-ए-हिंद’ नामक संगठन की पूछताछ होगी ?’’

१. भारत में हलाल प्रमाणपत्र देनेवाली इस्लामी संगठनों में से ‘जमियत उलेमा-ए-हिंद’ भी एक संगठन है । इस संगठन ने केवल ‘२६/११’ के ही नहीं, अपितु ७ नवंबर २००६ को हुए मुंबई के रेलवे बमविस्फोट, वर्ष २००६ में मालेगांव बमविस्फोट, जर्मन बेकरी (पुणे) बमविस्फोट, मुंबई के जवेरी बाजार के श्रंखला (चेन) विस्फोट, देहली के जामा मस्जिद के बमविस्फोट, कर्णावती (अहमदाबाद) के बमविस्फोट आदि अनेक आतंकवादी कार्रवाहियों के आरोपियों को कानूनी सहायता दिलवाई है ।

२. इससे भी अधिक गंभीर बात यह है कि ‘लष्कर-ए-तोयबा’, ‘इंडियन मुजाहिदीन’, ‘इस्लामिक स्टेट’ जैसे विविध आतंकवादी संगठनों से संबंधित ७०० संशयित आरोपियों के अभियोगों में भी ‘जमियत उलेमा-ए-हिंद’ आर्थिक सहायता कर रही है ।

३. किसी निरपराध व्यक्ति के साथ अन्याय हुआ हो, तो उसका अभियोग लडना समझा जा सकता है; परंतु पुलिस अन्वेषण में दोषी पाए गए सभी ७०० मुसलमानों को निरपराध मानकर उनका अभियोग लडना, यह तो अन्वेषण यंत्रणाओं को भी अन्वेषण करने से परावृत्त करनेवाला है ।

केंद्रीय गृहमंत्री को धमकी देनेवालों का भी अभियोग ‘जमियत उलेमा-ए-हिंद’ द्वारा लडा जाना !

दिसंबर २०१९ में इस संगठन के बंगाल के प्रदेशाध्यक्ष सिद्दीकुल्ला चौधरी ने नागरिकत्व सुधार कानून का विरोध करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा को धमकी दी थी कि ‘कोलकाता विमानतल के बाहर आने नहीं देंगे ।’ उत्तर प्रदेश के हिन्दुत्वनिष्ठ कमलेश तिवारी की हत्या करनेवाले आरोपियों का भी अभियोग लडने के लिए ‘जमियत उलेमा-ए-हिंद’ संगठन आर्थिक सहायता कर रही है । ‘द इंडियन एक्स्प्रेस’ नामक अंग्रेजी समाचारपत्र के जालस्थल पर २६ अक्टूबर २०१९ को यह समाचार प्रसारित किया गया है ।

संपादकीय भूमिका

  • ‘जमियत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट’ द्वारा आतंकवादियों की सहायता उजागर होने पर भी सरकार उस पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती ? ऐसे संगठनों पर अन्वेषण यंत्रणा कब कार्रवाई करेगी ?
  • इस विषय में तथाकथित निधर्मीवादी, बुद्धिवादी, पुरस्कार लौटानेवाले विचारक एवं आधुनिकतावादी कुछ कहेंगे ?
  • ‘जमियत उलेमा-ए-हिंद’ के स्थान पर यदि कोई हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन अथवा संस्था होती, तो कथित निधर्मी प्रसिद्धीमाध्यम एवं सहिष्णुतावादी कहलवानेवालों ने हंगामा मचा दिया होता और उस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की होती । इससे उनका कथित निधर्मीपना एवं हिन्दूद्वेष समझ लें !