आप युवा पीढी की मानसिकता बिगाड रही हैं !

सर्वाेच्च न्यायालय ने ‘एक्स.एक्स.एक्स.’ वेब सीरिज के संदर्भ में निर्मात्री एकता कपूर को फटकार लगाई !

नई देहली – आप इस देश की युवा पीढी के विचार दूषित कर रही हैं । ‘ओटीटी’ पर (प्रतिष्ठानों द्वारा सीधे इंटरनेट के माध्यम से दर्शकों के लिए दी सेवा अर्थात ‘ओटीटी’ (‘ओवर द टॉप’) के द्वारा दर्शक चलचित्र, वेब सीरिज अदि मनोरंजनात्मक कार्यक्रम देख सकते हैं ।) लोगों के सामने आप किस प्रकार के विकल्प (पर्याय) प्रस्तुत कर रही हैं ? विपरीत इसके आप युवा पीढी की मानसिकता को बिगाड रही हैं । इस विषय में कुछ तो करना चाहिए, सर्वाेच्च न्यायालय ने इन शब्दों में निर्मात्री एकता कपूर को फटकार लगाई । एकता कपूर के अल्टबालाजी ओटीटी मंच से ‘एक्स.एक्स.एक्स.’ वेब सीरिज दर्शाई जाती है । इस धारावाहिक में सैनिक की पत्नी का आपत्तिजनक चित्रण करने से भारतीय सैनिक तथा उनके परिवारजनों की भावनाएं आहत होने का परिवाद प्रविष्ट किया गया था । इस प्रकरण में एकता कपूर के विरुद्ध बंदी का वारंट जारी हुआ है । इस बंदी वारंट के विरुद्ध कपूर ने सर्वोच्च न्यायालय में न्याय मांगा है । उस पर सुनवाई करते समय सर्वोच्च न्यायालय ने कपूर को फटकार लगाई ।

१. एकता कपूर के अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने न्यायालय को बताया कि इस विषय में हमने पटना उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है; परंतु वहां उस पर शीघ्र सुनवाई होगी, हमें ऐसा प्रतीत नहीं होता । ऐसे ही एक अन्य प्रकरण में इससे पूर्व सर्वोच्च न्यायालय ने कपूर को सुरक्षा देते हुए कहा था कि यह वेब सीरिज वर्गणीदारों (सब्सक्राइबर्स) के लिए है । इस देश में लोगों को विकल्प चुनने की स्वतंत्रता है ।

२. इस विवाद (दलील) पर न्यायालय ने कहा कि आप लोगों के सामने कौन से विकल्प प्रस्तुत कर रही हैं ? इस प्रकार की याचिका प्रविष्ट करने के कारण आपको दंड भी दिया जा सकता है । याचिकाकर्त्री नामांकित अधिवक्ता की नियुक्ति कर सकती हैं, इसलिए वह न्यायालय का समय व्यय नहीं कर सकतीं । हमने कनिष्ठ न्यायालय का आदेश पढा है । वहां स्थानीय अधिवक्ता की नियुक्ति कर आप अपने प्रार्थनापत्र की वर्तमान स्थिति की जांच कर सकती हैं ।

संपादकीय भूमिका

न्यायालय को ऐसे धारावाहिकोेंं पर प्रतिबंध लगाने के साथ उन्हें प्रमाणपत्र देनेवाले संबंधित तंत्रों पर भी कार्यवाही करने का आदेश देना चाहिए; अर्थात पुन: किसी को इस प्रकार के धारावाहिक निर्माण करने तथा उन्हें प्रमाणपत्र देने का साहस ही नहीं हो !