आतंकवाद के पीड़ितों के साथ उन देशों के साथ गंभीर अन्याय जो इसे नहीं पहचानते ! – भारत

भारत ने पाक के विरोध में प्रस्तुत की कठोर भूमिका !

भारत के परराष्ट्र मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची

नई देहली – अपना हित संजोना एवं उदासीन रहनेवाले जो देश आतंकवादियों के संकट को नहीं पहचानते, वे आतंकवाद की बलि चढे लोगों के संदर्भ में ‘घोर अन्याय’ कर रहे हैं, ऐसी भूमिका भारत के परराष्ट्र मंत्रालय ने ८ अक्टूबर को एक वक्तव्य जारी कर प्रस्तुत की है । जागतिक समुदाय के सर्व कर्तव्यदक्ष सदस्य देशों की आंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का विशेषरूप से सीमापार आतंकवाद के विरोध में भूमिका होनी चाहिए । साथ ही दायित्व लेकर ठोस कृति करनी चाहिए, ऐसा वक्तव्य भारत के परराष्ट्र मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने किया ।

पाकिस्तान के परराष्ट्र मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने हाल ही में ली पत्रकार परिषद में कश्मीर का सूत्र उपस्थित कर कश्मीर घाटी में मानवाधिकारों का उल्लंघन होने का आरोप लगाया था । इस परिषद में जर्मनी के परराष्ट्रमंत्री अन्नालेना बेरबॉक भी उपस्थित थे । इस पर अरिंदम बागची ने उनके वक्तव्य का खंडन करते हुए भारत की भूमिका रखी ।

बागची आगे बोले…,

१. जम्मू-कश्मीर भारत का केंद्रशासित प्रदेश ने अनेक दशकों से आतंकवादी मुहिमें झेलता आ रहा है । आज भी आतंकवादी कार्रवाईयां रुकी नहीं हैं ।

२. भारत के अन्य राज्याें समान ही जम्मू-कश्मीर में भी विदेशी नागरिक आतंकवाद की बलि चढ रहे हैं । संयुक्त राष्ट्राें की सुरक्षा परिषद एवं ‘फायनॅन्शियल एक्शन टास्क फोर्स’ यह वैश्विक संगठन अब तक २६/११ के भयानक आक्रमण के कारणीभूत पाकपुरस्कृत आतंकवादियों को ढूंढ रहा है ।

३. जब देश आतंकवादियों के ऐसे संकटों को नहीं पहचानते, तब वे शांतिपूर्वक उद्देश्यपूर्ति को प्रोत्साहन नहीं देते, अपितु उसे प्रभावहीन करते हैं । आतंकवाद की बलि चढों के संदर्भ में यह गंभीर अन्याय है ।

संपादकीय भूमिका

भारत द्वारा आतंकवाद का सूत्र जागतिक स्तर पर ले जानेपर भी उसका कोई विशेष लाभ नहीं हुआ; कारण कोई भी राष्ट्र इस विषय पर भारत की वास्तविक सहायता करने का इच्छुक नहीं । यह वास्तविकता स्वीकारकर अब भारत को जिहादी आतंकवादियों का पालन-पोषण करनेवाले पाक का मटियामेट (नेस्तनाबूत) करना, यही एकमेव पर्याय है, यह भारतीय शासनकर्ताओं को कब ध्यान में आएगा ?