प्रतिदिन न्यूनतम आधा घंटा व्यायाम करें !

वैद्य मेघराज पराडकर

‘आयुर्वेद में वात, पित्त एवं कफ को ‘दोष’ कहा गया है । वात, पित्त तथा दोष के कार्य में बाधा होना, अर्थात व्याधि ! आयुर्वेद के अनुसार उचित समय पर खाना, जितना पचन (हजम) हो, उतना ही खाना, शरीर के लिए अहितकारक पदार्थ टालना, आदि आहार के नियमों का पालन करने से वातादि दोषों के कार्य में संतुलन होकर स्वास्थ्य प्राप्त होता है; किंतु अधिकतर भोजन संबंधी नियम पालन करना संभव नहीं होता । उस समय शरीर निरोगी रखने का सर्वाेत्तम मार्ग है ‘व्यायाम करना ।’ यदि आहार के नियमों का पालन न करने से वातादि दोष असंतुलित हुए, तो नियतिम व्यायाम करने से पुन: उन्हें संतुलित होने में सहायता प्राप्त होती है । अतः शरीर निरोगी रखने के लिए प्रतिदिन न्यूनतम आधा घंटा व्यायाम करें !’

– वैद्य मेघराज माधव पराडकर, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा । (८.८.२०२२)