सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रवर्तन निदेशालय के बंदी के अधिकार अबाधित !

‘पी.एम्.एल्.ए.’ कानून के विरोध में 242 लोगों की याचिका सर्वोच्च न्यायालय ने नकारी !

नई देहली – ‘प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट’ (पी.एम्.एल्.ए.) कानून के अंतर्गत बंदी के लिए प्रवर्तन निदेशालय के (‘ईडी’के) अधिकार सर्वोच्च न्यायालय ने कायम रखा है । इस कानून के अंतर्गत व्यवस्थाओं को संविधानात्मक आवाहन देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई करते समय न्यायालय ने यह निर्णय दिया । इस कानून का उपयोग ‘ईडी’द्वारा काला पैसा विरोधी कार्रवाईयों के लिए किया जाता है । भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री एवं काँग्रेस के नेता पी. चिदंबरम् का बेटा कार्ती चिदंबरम्, महाराष्ट्र के भूतपूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख, जम्मू एवं कश्मीर की भूतपूर्व मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती सहित 242 याचिकाकर्ताओं ने इस कानून अंतर्गत ‘ईडी’ द्वारा लगाई बंदी, जप्ती एवं अन्वेषण प्रक्रिया को आवाहन किया था ।

श्रनन्यायालय ने कहा है कि ‘प्रवर्तन प्रकरण सूचना ब्यौरा’ (ई.सी.आइ.आर्. अर्थात Enforcement Case Information Report) एवं प्रथम सूचना ब्योरा (एफ.आइ.आर्.) को साथ नहीं जोडा सकता । ई.सी.आइ.आर्.की प्रति आरोपी को देना आवश्यक नहीं । बंदी के समय कारण उजागर करना पर्याप्त है । ‘ईडी’ के समक्ष किया कथन ही प्रमाण है ।

‘ईडी’के पास 3 सहस्र अभियोग, केवल 23 जन दोषी अब तक !

केंद्र ने लोकसभा के एक प्रश्न के उत्तर में कहा था कि वर्तमान में देशभर में ‘ईडी’के पास अन्वेषण के लिए ३ सहस्र अभियोग हैं । पी.एम्.एल्.ए. कानून 17 वर्षाें पूर्व अस्तित्व में आने से अब तक उसके अंतर्गत 5 सहस्र 422 अपराध प्रविष्ट हुए हैं । इस प्रकरण में केवल 23 जनों को अब तक दोषी घोषित किया है । ‘ईडी’ने अब तक 1 लाख करोड रुपयों से अधिक संपत्ति जप्त की है । 992 प्रकरणों में आरोपपत्र प्रविष्ट किया है ।