संसार का एकमात्र धर्म है हिन्दू धर्म !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

‘उत्पत्ति स्थिति और लय’, इस सिद्धांत के अनुसार विविध संप्रदायों की स्थापना होती है और कुछ काल के उपरांत उनका लय होता है, अर्थात उनका अस्तित्त्व नहीं बचता । इसके विपरीत सनातन हिन्दू धर्म की उत्पत्ति न होने के कारण, अर्थात वह अनादि होने के कारण; वह अनंत काल तक रहता है । यह हिन्दू धर्म की विशेषता है । संसार में दूसरा धर्म ही नहीं है, इसलिए ‘सर्वधर्म समभाव’, यह शब्द कितना अनुचित है, यह इससे समझ में आता है ।’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले