इस्लामाबाद (पाकिस्तान) – बलूचिस्तान में पिछले २३ वर्षों में ५ से ८ सहस्र लोगों के गायब होने की बात सामने आई है । पाकिस्तान में बलूचिस्तान स्वयं की स्वतंत्रता के लिए पिछले अनेक दशक पाक के विरोध में संघर्ष कर रहा है । इसीलिए पाक सेना की ओर से बलूची लोगों पर लगातार अत्याचार किए जा रहे हैं । बलूच के विद्यार्थी नेता जाकिर माजिद बलोच गायब होने की घटना को ८ जून के दिन १४ वर्ष पूर्ण हुए । इसी बहाने बलूचिस्तान के क्वाटा शहर के प्रेस क्लब के सामने प्रदर्शन किए गए इसका नेतृत्व ‘वोइस फॉर मिसिंग पर्सन्स’ (वीबीएम्पी) नामक संगठन ने किया ।
Voice for Baloch Missing Persons (VBMP) said that June 8 marks the 14th anniversary of the enforced disappearance of Zakir Majeed Baloch
It has been 14 years since Baloch student leader Zakir Majeed Baloch was forcibly kidnapped and ‘disappeared’ by the Pakistani security forces pic.twitter.com/UOLbUJEZ1U
— VOICE OF BALOCH (@Baloch81789103) June 8, 2022
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने विद्यमान शाहबाज सरकार से लेकर पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ तक सभी अधिकारियों को नोटिस भेजने के निर्देश दिए हैं । निश्चित रूप से कितने लोग गायब हुए हैं यह निश्चित किया जाए, ऐसा न्यायालय ने कहा है ।
१. गायब हुए लोगों में बलूचिस्तान के लिए लडनेवाले कार्यकर्ताओं की संख्या सर्वाधिक है । बलूच राष्ट्रवादी कार्यकर्ता उनके नागरिक अधिकारों के लिए चीन – पाकिस्तान के आर्थिक प्रकल्प का विरोध भी कर रहे हैं ।
sends the latest on PAKISTAN: No clues as to whereabouts of Ehsan Arjemandi – Iran denies extradition. Read more here: http://bit.ly/9M1QRQ
— AHRC (@humanrightsasia) March 1, 2010
२. बलूच प्रान्त के अपहरणों की जांच करने के लिए पाकिस्तान में पहुंचे हुए नॉर्वे के मानवी अधिकार कार्यकर्ता एहसान अर्जेमंडी से भी बुरा व्यवहार किया गया । अर्जेमंडी को अवैधानिक रूप से पकडकर क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया गया था । इस संदर्भ में अर्जेमंडी ने कहा, ‘‘मैं ३१ जुलाई २००९ को बलूच पहुंचा । उसके बाद मुझे यात्रा करने से मना किया गया । इसलिए मैं जांच पूर्ण नहीं कर पाया ।’’ ६ अगस्त को वे मांड में कराची जानेवाली बस में बैठे थे । ७ अगस्त की सुबह को बलूचिस्तान और सिंध के बीच में पाकिस्तान सुरक्षा दलों ने उन्हें बस से बाहर फेंक दिया ।
संपादकीय भूमिकापाक के इन अत्याचारों के विरोध में एक भी इस्लामी देश और पाश्चात्य देश नहीं बोलते, यह ध्यान में रखिए ! |