सभी संकटों पर विजय प्राप्त कर सनातन संस्था खडी करनेवाले परात्पर गुरु डॉक्टरजी के चरणों में महर्षियों का नमस्कार !‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी साक्षात भगवान हैं’, इस भाव से साधकों को प्रत्येक सेवा उनके चरणों में अर्पण करनी चाहिए । आज सनातन संस्था को इस उच्चतम शिखर तक पहुंचाने के लिए गुरुदेवजी ने कितने परिश्रम उठाए हैं ! साधकों को अनेक प्रकार के कष्ट होते हुए भी सभी संकटों पर विजय प्राप्त कर सनातन संस्था आज खडी है, इसका कारण हैं ‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी’ ! हम महर्षि उन्हें साष्टांग नमस्कार करते हैं ! – सप्तर्षि (संदर्भ : सप्तर्षि जीवनाडी वाचन क्र. १५३, १४.१०.२०२०) |
भगवान परात्पर गुरु डॉक्टरजी, सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के रूप में अवतरित हुए हैं !
‘वर्ष २०२० से वर्ष २०२३, इन ३ वर्षाें में पृथ्वी पर ‘न भूतो न भविष्यति’ अर्थात ‘पहले कभी नहीं हुआऔर न भविष्य में होगा’, ऐसा आपातकाल आनेवाला है’, यह सनातन के इन तीनों गुरुओं को पहले से ही ज्ञात था । इसके लिए ही ये तीनों गुरु पिछले २०-२१ वर्षाें से साधकों को अलग-अलग प्रकार से और कभी-कभी प्रत्यक्ष बताकर भी उस संदर्भ में सूचित कर रहे थे । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित ‘अग्निहोत्र’ ग्रंथ की पहली ही पंक्ति में गुरुदेवजी ने लिखा है, ‘आनेवाले भीषण आपातकाल में पृथ्वी पर रहनेवाले ३५० करोड लोगों की मृत्यु होनेवाली है ।’ आपातकाल से पार होने के लिए साधकों के पास आवश्यक आध्यात्मिक ऊर्जा अर्थात ही जिसे हम ‘चैतन्य’ कहते हैं, वह नहीं होगी । इसे पहचानकर ही श्रीमन्नारायणस्वरूप परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने अपना वैकुंठधाम छोडकर पृथ्वी पर अवतरित होना सुनिश्चित किया । उनकी आज्ञा से ही भूदेवीस्वरूप सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी और श्रीदेवीस्वरूप सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने ईश्वरीय नियोजन के अनुसार पृथ्वी पर अवतार धारण किया ।
‘आनेवाले आपातकाल में सनातन के ये तीनों गुरु साधकों को सुरक्षित रखने ही वाले हैं’, यह सनातन के साधकों में इन तीनों गुरुओं की प्रति दृढ श्रद्धा है और वह अविनाशी सत्य है ! – श्री. विनायक शानभाग, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के रूप में साक्षात भगवान ही ‘गुरु’ के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं !
इस विश्व में अनेक लोग स्वयं को ‘गुरु’ कहलाते हैं; परंतु उनमें ‘सच्चे गुरु’ ऐसे कोई नहीं हैं । सप्तर्षियों की दृष्टि से इस पृथ्वी पर ‘गुरु’ अर्थात केवल परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ही हैं । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के रूप में साक्षात भगवान ही ‘गुरु’ के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं । राष्ट्र और पृथ्वी पर कब कौनसा संकट आनेवाला है, यह जाननेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी एकमात्र ‘गुरु’ हैं । आजकल उनके मन में ‘आनेवाले भीषण युद्धकाल में साधकों को कैसे बचाया जाए ?’ और ‘उनकी कैसे रक्षा की जाए ?’, यह एक ही विचार होता है । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी श्रीमहाविष्णु के अवतार हैं, इसलिए सामान्य व्यक्ति को उनका कार्य समझ में नहीं आता । जैसे प्रभु श्रीराम एकवचनी थे, वैसे ही परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी भी हैं ।’
– सप्तर्षि (संदर्भ : सप्तर्षि जीवनाडी वाचन क्र. १५२, ०८.१०.२०२०)
अवतार होते हुए भी सामान्य जनों की भांति जीवन व्यतीत करनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !
श्रीराम और श्रीकृष्ण स्वयं अवतार होते हुए भी उन्होंने सामान्य लोगों की भांति जीवन व्यतीत किया । उन्होंने उन्हें प्राप्त शक्तियों का उपयोग कभी भी आडंबर करने के लिए नहीं किया । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी भी वैसे ही हैं ।
सनातन के आश्रम की महिमा !साक्षात भगवान श्रीमहाविष्णु और श्री महालक्ष्मी माता भी सामने प्रकट हुए, उस समय जितना चैतन्य होगा, उतना ही चैतन्य सनातन के रामनाथी (गोवा) के आश्रम में है । – सप्तर्षि (संदर्भ : सप्तर्षि जीवनाडीवाचन क्र. १५४, १६.१०.२०२०) |