‘कामसूत्र’ की भूमि पर लैंगिकता के विषय में सामाजिक चर्चा करने को अश्लील समझना अयोग्य !’

  • ‘माई म्यूस’ कंपनी के प्रमुख का भारतीय संस्कृति के विरोध में विधान

  • हमारी कंपनी लैंगिक स्वतंत्रता को प्रोत्साहन देती है !

मुंबई – भारतीय समाज से लैंगिक संबंधों के संदर्भ में ‘अनैतिकता, शर्म, अपराध की भावना और डर’ दूर करने की आवश्यकता है । भारतीय भूमि यह ‘कामसूत्र’ से संबंधित होने पर भी लैंगिकता के विषय में चर्चा करने को अश्लील समझा जाता है, यह अयोग्य है, ऐसा मत अनुष्का और साहिल गुप्ता इस जोडीदार ने व्यक्त किया है । इस जोडी ने ‘माई म्यूस’ नाम की कंपनी चालू कर इस माध्यम से बनाए जाने वाले लैंगिकता से संबंधित उत्पादन क्रय करने वालों को अपमानास्पद नहीं लगेगा, हो सकता है इन उत्पादनों का पहली बार प्रयोग करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा, ऐसा उन्होंने कहा ।

उन्होंने आगे कहा कि, माई म्यूस कंपनी समाज में लैंगिक स्वतंत्रता को प्रोत्साहन देने पर इसका लाभ शहर की युवा पीढी को हो रहा है । कोरोना के समय शुरू हुई यह कंपनी अब देश के २०० शहरों में लैंगिकता से संबंधित उत्पादनों की बिक्री कर रही है । लैंगिकता को प्रोत्साहन देने वाली अनेक कंपनियां आज सामने आ रही हैं । लैंगिक संबंधों से संबंधित व्यापार भारत में तेजी से बढ रहा है, ऐसा भी उन्होंने कहा ।

संपादकीय भूमिका

  • वात्सायन मुनि ने ‘कामसूत्र’ नामक विश्वप्रसिद्ध ग्रंथ लिखा है । हिन्दू धर्म ने बताए चार पुरूषार्थों में से ‘काम’ यह एक पुरुषार्थ है; परंतु काम जैसे भौतिक सुख में फंसने की अपेक्षा चिरंतन आनंद देने वाले मोक्षप्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रयास करना चाहिए, ऐसा हिन्दू धर्म बताता है ! आज के भागदौड और पश्चिमी सभ्यता में फंसे लोगों को केवल स्वैराचार नजदीक का लगेगा, इसमें क्या आश्चर्य ?

  • आज भी अधिकांश हिन्दू समाज यह धर्म पालन करता है । ऐसा होते हुए भी पश्चिमी विचारधारा पर चलने वालों पर लगाम लगाने के लिए सरकार को उनके विरोध में कार्यवाही करनी चाहिए, ऐसा ही धर्मप्रेमी हिन्दुओं को लगता है !