होली की पूर्व संध्या पर, बांग्लादेश में २०० से अधिक कट्टरपंथियों ने इस्कॉन मंदिरों में तोडफोड की !

घटना की सूचना देने के उपरांत भी पुलिस निष्क्रिय !

  • बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसे इस्लामी देशों में हिन्दुओं की यह स्थिति कल, आज और कल समान रहेगी । वहां के हिन्दुओं के लिए इस स्थिति को बदलना संभव नहीं है । इसके लिए, भारत को ही पहल करनी होगी । यह हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के उपरांत ही हो सकता है ; यह सत्य है ! – संपादक

  • भारत में भी जब कट्टरपंथी धर्मांध, हिन्दुओं पर आक्रमण करते हैं, तब पुलिस मूक दर्शक बनी निष्क्रिय रहती है । यदि मुसलमान बहुल बांग्लादेश में पुलिस निष्क्रिय रहती है, तो इसमें आश्चर्य क्या है ? – संपादक

ढाका (बांग्लादेश) – होली की पूर्व संध्या पर, २२२ लाल मोहन साहा मार्ग पर स्थित, इस्कॉन के राधाकांत मंदिर में २०० से अधिक कट्टरपंथियों ने ‘अल्लाह हू अकबर’ (अकबर महान है) और ‘नारा-ए-तकदिर’ (अल्लाह सबसे महान) की घोषणा करते हुए मंदिर पर आक्रमण कर तोडफोड की । उन्होंने मंदिर की बहुमूल्य सामग्री भी लूट ली । इस आक्रमण में कुछ हिन्दू घायल भी हुए । इनमें सुमंत्र चंद्र श्रवण, निहार हलदर, राजीव भद्र और अन्य सम्मिलित हैं । घटना १७ मार्च संध्या ७ बजे की है । प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि, “हाजी शफीउल्लाह ने भीड का नेतृत्व किया । इस समय यहां तनाव की स्थिति है । इसलिए, मंदिर क्षेत्र में पुलिस सुरक्षा कडी कर दी गई है । दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं ने पुलिस को घटना की सूचना दी, फिर भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की ।”

पुलिस द्वारा हिन्दुओं को ही पीटा गया !

आक्रमण में घायल हुए निहाल हलदर ने कहा कि, आक्रमण का  मुख्य सूत्रधार मोहम्मद इसरफ सूफी (आयु ३१) और हाजी सफीउल्लाह (आयु ६२) थे । कट्टरपंथियों के पास लाठी, लोहे की छडें और अन्य शस्त्र थे । आक्रमण के उपरांत, श्रद्धालुओं ने मंदिर का मुख्य द्वार बंद करने का प्रयास किया । उन्होंने पुलिस को बुलाया, किन्तु जब पुलिस पहुंची, तो उन्होंने निहाल हलदर के साथ मारपीट की और उसका फोन छीन लिया । आक्रमण करने वालों ने पांच लाख रुपये भी लूट लिए ।

इस्कॉन इंडिया ने घटना का तीव्र निषेध किया है !

इस्कॉन इंडिया के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने ट्वीट कर घटना की निंदा की है । उन्होंने कहा कि, “यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, जो डोल यात्रा और होली समारोह की पूर्व संध्या पर हुई । कुछ दिनों पहले संयुक्त राष्ट्र ने १५ मार्च को ‘इस्लामोफोबिया के विरोध में संघर्ष करने के  लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ के रूप में घोषित करने का एक प्रस्ताव पारित किया । हमें आश्चर्य है, कि संयुक्त राष्ट्र हजारों असहाय बांग्लादेशियों और पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों की दुर्दशा पर चुप है । परिणामस्वरूप, कई हिन्दू अल्पसंख्यकों ने प्राण गंवाए, संपत्ति का नाश हुआ एवं हिन्दू महिलाओं का बलात्कार हुआ । किन्तु, संयुक्त राष्ट्र इस्लामोफोबिया पर विचार कर रहा है ।”

बांग्लादेश में मंदिरों और हिन्दुओं पर धर्मांधों द्वारा इसके पूर्व भी अनेक आक्रमण किए गए हैं !

बांग्लादेश में मंदिरों को कट्टरपंथियों ने पहले ही लक्ष्य कर रखा है । गत वर्ष, अक्टूबर में नवरात्रि पर्व के समय देशभर में हिन्दुओं और मंदिरों पर आक्रमण हुए थे । चौमुनि स्थित इस्कॉन के श्री श्री राधाकृष्ण गौर नित्यानंद मंदिर पर भी कट्टरपंथियों ने आक्रमण  किया और तोडफोड की थी, जिसमें ५० से अधिक लोगों के मारे जाने का समाचार आया था । इसके अतिरिक्त, कई अन्य शहरों में भी मंदिरों पर आक्रमण किया गया था ।