भेंटवस्तु पर आयकर से छूट मांगने वाली याचिका उच्चतम न्यायालय ने निरस्त की
नई दिल्ली – दवा बनाने वाली कंपनियों की ओर से डॉक्टरों को भेंटवस्तु दी जाती है । इन वस्तुओं पर आयकर में छूट दी जानी चाहिए, ऐसी मांग करने वाली याचिका उच्चतम न्यायालय ने निरस्त कर दी । न्यायालय ने कहा, ‘भेंट वस्तु (सोने के सिक्के, लैपटॉप, फ्रिज, एल.सी.डी.टी.वी. और आने-जाने का खर्च इ.) बिनामूल्य नहीं है, ये दवाइयों की कीमत में जोडी जाती हैं । भेंटवस्तु देना, यह सार्वजनिक नीतियों के विरुद्ध है, कानूनन यह स्पष्ट रुप से प्रतिबंधित है ।’
Supreme Court rules that “extravagant freebies” given to doctors, obviously in exchange for prescribing expensive medicine, cannot be used by pharmaceutical companies to claim benefits under the I-T Act https://t.co/d0DZwaIULf
— The Hindu (@the_hindu) February 22, 2022
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि,
१. ऐसी भेंटवस्तुओं का परिणाम दवाइयों की कीमत बढने पर होता है । जिस कारण मरीजों पर अनावश्यक खर्चा बढता है । चिकित्सा पेशेवर को भेंटवस्तु देना कानूनन प्रतिबंधित है ।
२. आयकर कानून की धारा ३७ (१) अंतर्गत दवा बनाने वाली कंपनियां इस पर आयकर में छूट का लाभ नहीं ले सकतीं । ‘मेडिकल काउन्सिल ऑफ इंडिया विनियम, २००२’ ने उतने ही प्रभाव की दवाइयों की अपेक्षा मंहगे ब्रांड की दवाइयां लिखने के लिए मंहगी भेंटवस्तु लेने की प्रथा पर , जिसके कारण मरीजों पर अनावश्यक खर्चा पडता है, प्रतिबंध लगाया है ।
३. डॉक्टरों का मरीज से ऐसा संबंध होता है कि, उनका एक ही शब्द मरीजों के लिए अंतिम होता है । डॉक्टरों ने दी दवा मंहगी और मरीज की क्षमता से बाहर होने पर भी, उन्हें खरीदने का प्रयास किया जाता है । ऐसी स्थिति में डॉक्टरों द्वारा लिखी सलाह यह दवा बनाने वाली कंपनियों का भेंट वस्तु से संबंध होने का विषय समझ में आना बडी चिंता की बात है ।