नई दिल्ली – भारत में अब डॉक्टरों को उनकी सेवा के विषय में शपथ लेते समय महर्षि चरक की शपथ लेंगे । आने वाली १४ फरवरी से यह नियम लागू होने वाला है ।
महर्षि चरक की परंपरा में चिकित्सा एक व्यवसाय नही अपितु मानवसेवा का माध्यम है।
एम्स के पूर्व निदेशक का अभिनंदन। pic.twitter.com/1do7jp0nMT— स्वामी रामदेव (@yogrishiramdev) February 12, 2022
१. वैद्यकीय शिक्षा लेने वाले विद्यार्थियों को ‘हिप्पोक्रेटिक’ शपथ लेनी पडती है । ‘हिप्पोक्रेटिक’ यह ग्रीक डॉक्टर था । उसका कार्यकाल ईसवी सन् पूर्व ४६० से ३७६ ऐसा माना जाता है । इसके पहले ‘बीमारी देवता की अवकृपा से आती है’, ऐसा माना जाता था; लेकिन हिप्पोक्रेटस ने गलत बताते हुए ‘बीमारी प्राकृतिक कारणों से आती है’, ऐसा सिद्धांत बताया । तब से उसे औषधिशास्त्र का जनक माना जाता है । उसके नाम से ली जाने वाली शपथ के अनुसार, ‘वैद्यकीय विद्या बहुत सम्मान की होकर उसका प्रयोग विवेक से करुंगा । मरीजों का स्वास्थ्य यही मेरे लिए प्रधानता होकर उस विषय में गोपनीयता रखना, यह मेरा कर्तव्य है’, ऐसी शपथ ली जाती है । डॉक्टर का सफेद कोट पहनने से पहले प्रत्येक को यह शपथ लेनी पडती है ।
२. राष्ट्रीय वैद्यकीय आयोग ने (नेशनल मेडिकर कमीशन ने) यह शपथ रहित कर इसके स्थान पर भारतीय वैद्यकीय शास्त्र के महर्षि चरक की शपथ लेनी चाहिए, ऐसाा प्रस्ताव ७ फरवरी को हुई बैठक में संमत किया है । यह शपथ प्रादेशिक भाषाओं में लेने की छूट दी गई है ।
३. इस शपथ के साथ एम.बी.बी.एस.पाठ्यक्रम के पहले वर्ष के विद्यार्थियों को १० दिनों के योग शिबिर को भेजा जाएगा । इस विषय का आदेश संबंधित सभी वैद्यकीय महाविद्यालयों को दिए गए हैं ।
४. महर्षि चरक की शपथ में, ‘मरीज की बीमारी का सही परीक्षण कर उसके ऊपर सही उपचार होंगे, यह प्रधानता से देखूंगा, साथ ही मरीज की निजता का सम्मान कर उसकी बीमारी के विषय में गोपनीयता रखूंगा’, ऐसा कहा है ।
(कहते हैं) ‘रा.स्व. संघ की इच्छा के अनुसार चिकित्सकीय शिक्षा का भगवाकरण करने का प्रयास !’ – कांग्रेस
सर्वत्र भगवा ही भगवा दिखाई देनेवाली इस कांग्रेस को कभी भारतीय अस्मिता और परंपराओं का भी आदर करना चाहिए, ऐसा क्यों नहीं लगता ? महर्षि चरक के विषय में कांग्रेस को इतना द्वेष क्यों ? – संपादक
केरल – कांग्रेस की केरल शाखा ने ट्वीट कर कहा है कि चिकित्सकीय छात्रों द्वारा ली गई हिप्पोक्रैटिक शपथ के स्थान पर चरक शपथ लेने का राष्ट्रीय चिकित्सकीय आयोग का प्रस्ताव संघ की इच्छा के अनुसार चिकित्सकीय शिक्षा का भगवाकरण करने का प्रयास है । हिप्पोक्रैटिक शपथ जो सार्वत्रिक नैतिकता और मूल्यों का प्रतिनिधित्व करती है, उसे बदला नहीं जा सकता ।
(कहते हैं) ‘हिप्पोक्रैटिक’ को बदलने के स्थान पर चरक शपथ भी लागू की जाए ? : कांग्रेस के सांसद शशी थरूर
पश्चिमी लोगों को पकडे रहने की कांग्रेस की पुरानी आदत है । ऐसी कांग्रेस का भारत में क्या काम ? उसे पश्चिमी कांग्रेस में चले जाना चाहिए ! – संपादक
कांग्रेस के सांसद शशी थरूर ने ट्वीट कर यह प्रश्न उठाया है कि कई डॉक्टर इस संदर्भ में चिंता व्यक्त कर रहे हैं । मैं सभी प्रकार की भारतीय शिक्षा में भारतीय घटकों को परिचय करा देने के पक्ष में हूं; परंतु सार्वत्रिक मूल्यों और मानकों को दूर रखकर नहीं ! विश्वभर के डॉक्टरों द्वारा ली गई हिप्पोक्रैटिक शपथ को बदलने के स्थान पर चरक शपथ क्यों नहीं लागू की जा सकती ?