पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर की भूमि सरकारी अधिकारी विक्रय कर सकते हैं !

ओडिशा सरकार कानून में संशोधन के लिए सहमत !

  • यदि कोई सरकारी अधिकारी भ्रष्ट है, तो वह मंदिर की भूमि विक्रय कर देगा और भ्रष्ट मार्ग अपनाकर धन इकट्ठा करेगा ! भक्तों को वैधानिक पद्धति से ऐसे कानून का विरोध करना चाहिए ! – संपादक
  • अपात्र व्यक्ति द्वारा मंदिरों से संबंधित व्यवस्थापकीय कार्य करना ‘अधर्म’ है । इस प्रकार मनमाने ढंग से कानून बदलने वाले भी अधर्मी हैं । यह देखते हुए, कि देवता के भक्त निश्चित रूप से सरकारी अधिकारियों की तुलना में, मंदिर के व्यवस्थापन और प्रबंधन के लिए अधिक योग्य हैं ; इसलिए, हिन्दुओं को मंदिरों के सरकारीकरण को समाप्त करने के लिए जोरदार संघर्ष करना चाहिए ! – संपादक
  • क्या ओडिशा सरकार कभी वक्फ बोर्ड की भूमि विक्रय करने के लिए ऐसा कानून बनाने का साहस करेगी ? – संपादक

भुवनेश्वर (ओडिशा) – ओडिशा में बीजू जनता दल सरकार के मंत्रिमंडल ने पुरी में ‘श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम १९५४’ में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमति दे दी है । यह संशोधन, सरकारी अधिकारियों को, श्री जगन्नाथ मंदिर संचालन समिति के अंतर्गत आने वाली भूमि और अन्य अचल संपत्ति को विक्रय करने या गिरवी रखने का अधिकार देता है । पहले इस प्रकार के निर्णय के लिए, राज्य सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य था । मुख्य सचिव सुरेश चंद्र महापात्रा ने इस बात की जानकारी दी ।

मंदिर के कार्यकारी अध्यक्ष, मुख्य प्रशासक, मंदिर प्रशासक, उप प्रशासक और अन्य अधिकारी, अब मंदिर से संबंधित संपत्ति को विक्रय करने या गिरवी रखने का निर्णय ले सकेंगे ।

ओडिशा सरकार स्थापित करेगी ‘श्री मंदिर गुरुकुल’ !

पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति की बैठक के उपरांत, मंदिर के मुख्य प्रशासक कृष्ण कुमार ने कहा कि, “एक ‘श्रीमंदिर गुरुकुल’ स्थापित किया जाएगा । यह गुरुकुल १७ एकड भूमि पर विकसित किया जाएगा । गुरुकुल के निर्माण के लिए ओडिशा सरकार अर्थ सहायता करेगी । इसके लिए, ‘श्रीमंदिर आदर्श गुरुकुल सोसायटी’ बनाई जाएगी और वह इस गुरुकुल को चलाएगी ।”

श्री जगन्नाथ मंदिर में सेवा करने वालों को नि:शुल्क आवास उपलब्ध कराए जाएंगे । इसके लिए ८ एकड भूमि का चयन किया गया है, जिसका व्यय ओडिशा सरकार वहन करेगी ।