(कहते हैं) ‘प्रमु श्रीराम केवल भाजपा और संघ के ही नहीं,  संपूर्ण विश्व के हैं !’ – फारूक अब्दुल्ला, नेता, नेशनल कॉन्फ्रेंस

यदि ऐसा है, तो भारतीय मुसलमानों ने अयोध्या की श्रीराम जन्म भूमि मुक्त करने का विरोध क्यों किया ? भगवान श्रीराम के समान भगवान श्रीकृष्ण और भगवान शिव भी संपूर्ण विश्व के हैं, तो उनके काशी और मथुरा के मंदिरों की जगह मुसलमान हिन्दुओं को क्यों नहीं सौंप रहे ? फारुक अब्दुल्ला इसके लिए प्रयास क्यों नहीं करते ? कि ‘श्रीराम संपूर्ण विश्व के हैं’, यह कहना अर्थात ‘कथनी और करनी में अंतर’ है, ऐसा समझना चाहिए  ? – संपादक

नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य नेता फारूक अब्दुल्ला

जींद (हरियाणा) – प्रभु श्रीराम केवल हिन्दुओं के नहीं ,वे संपूर्ण विश्व के हैं । भाजपा श्रीराम पर स्वयं का अधिकार बताती है, जैसे कि प्रभु श्रीराम केवल उसी के  हैं, और अन्य किसी के  नहीं । प्रभु श्रीराम  केवल भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ही नहीं, ते संपूर्ण विश्व के हैं, ऐसा विधान नेशनल कान्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला ने किया । वे पूर्व प्रधानमंत्री देवीलाल की १०८वीं जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए बोल रहे थे ।

फारुक अबदुल्ला ने कहा कि,

१. जम्मू और काश्मीर का विशेष दर्जा रद्द करने के २ वर्षों बाद भी एक भी व्यक्ति को नौकरी नहीं मिली । केंद्र ने काश्मीर में ५० सहस्र नौकरियों का आश्वासन दिया था । वैसा कुछ भी नहीं हुआ । (स्वतंत्रता से लेकर २ वर्ष पूर्व तक जिसने राज्य किया, उसमें फारुक अबदुल्ला भी शामिल हैं । उन्होंने काश्मीर के लिए क्या किया, यह बताना चाहिए ! – संपादक)

२. काश्मीर भारत का हिस्सा कब नहीं था ? हमने गांधी का भारत चुना, जिना का पाकिस्तान नहीं । हमने कहा, ‘हम भारत में रहेंगे और हम भारत में ही मरेंगे ।’ (‘भारत में रहेंगे और भारत और काश्मीर के अल्पसंख्यक हिन्दुओं का विश्वासघात करेंगे’, यही मानसिकता अब्दुल्ला परिवार और अन्य धर्मांधों की रही है । यही इतिहास और वर्तमान है ! – संपादक)

३. अटल बिहारी बाजपेयी ने कहा था, ‘हम मित्र बदल सकते हैं; लेकिन पडोसी नहीं ।’ (भारत के पास पडोसी बदलने की भी शक्ति है; केवल इच्छाशक्ति के अभाव के कारण वो किया नहीं जाता, यह भारतीयों का दुर्भाग्य है ! – संपादक).

४. हमें अपने पडोसी से लडाई रोकनी चाहिए । यदि आपके पडो़सियों से मैत्रीपूर्ण संबंध होंगे, तो आप समृद्ध होंगे । आज हमारे मित्र कहां हैं ? नेपाल, भूटान या बांगलादेश हमारे मित्र हैं क्या ? हमने अफगानिस्तान में अरबों रुपया खर्च किया । आज अफगानिस्तान हमारा मित्र है क्या ? छोटे भाई को साथ में लेने से ही घर समृद्ध होगा, यह बडे़ भाई को समझना चाहिए । (भारत ने मित्रता का रिश्ता निभाने का प्रयास किया; लेकिन पडो़सी देशों ने विश्वासघात किया, यह वास्तविकता है । फारुक अब्दुल्ला जानबूझकर बोलना टालते हैं, यह ध्यान दें ! – संपादक)