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यदि ऐसी धमकियां दी जाती हैं, तो अपने आप को प्रगतिशील कहनेवाले, संबंधित अधिकारियों से उनके विरुद्ध शिकायत क्यों नहीं करते ? या किसी ने धमकी दी है, तो उसका नाम क्यों नहीं बताते ! ध्यान दें, कि इस तरह के वक्तव्य हिन्दुओं को केवल कलंकित करने के लिए दिए जा रहे हैं ! – संपादक
मुंबई : हिन्दू समर्थक कार्यकर्ता, मारने और बलात्कार करने की धमकी देते हैं । हिंदुत्व के आधार पर, भारत सरकार द्वारा ऐसी नीतियां बनाई जाती, जिससे ऊंची जातियों के हितों की रक्षा हो सके । (यदि ऐसा है, तो भारत में उच्च जातियों की दुर्दशा क्यों है ? ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जहां ब्राह्मण पुजारियों को उनके उचित पारिश्रमिक का भुगतान न करने के कारण उनकी दुर्दशा हो रही है, ऐसा होते हुए साफ झूठ विधान करनेवाली मीना कंडासामी ! – संपादक) मुसलमान महिलाओं के साथ बलात्कार करने के लिए प्रेरित कर तथा दंगल करवाकर नरेंद्र मोदी सत्ता में आए हैं । (जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इतने निचले स्तर के आरोप लगाए जा रहे हैं , तब क्या केंद्र सरकार इस पर ध्यान देगी ? – संपादक) उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में, ७ मुसलमान महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया । (ये बलात्कार कहां व कब हुए ? क्या हिन्दू द्रोही उनका नाम सार्वजनिक करेंगे ? – संपादक) पहले सत्र में, तमिलनाडु की लेखिका और कार्यकर्ता मीना कंदासामी ने नितांत झूठे बयान दिए, कि हिन्दू समर्थक कार्यकर्ताओं का उद्देश्य दलितों को नष्ट करना है । १० से १२ सितंबर तक वैश्विक स्तर पर ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ शीर्षक से एक ऑनलाइन सम्मेलन आयोजित किया गया है । वह दूसरे दिन के पहले सत्र में बोल रही थीं । पहले सत्र में ‘रेप इंडिया’ नाम की लघु चित्र भी दिखाया गया ।
अन्य हिन्दू द्रोही भी विरोधी बयान दे रहे हैं !
१. ‘हिन्दू बांग्लादेशियों के प्रति विरोधी भावनाएं प्रसारित करते हैं ।’ – अनिरुद्ध दत्ता (बांगलादेशी घुसपैठिए भारत में देशघाती कार्यवाहियां कर रहे हैं । उसका विरोध करने पर अनिरुद्ध दत्ता के कलेजे पर सांप क्य़ों लोटता है ? – संपादक)
२. हिन्दुत्व लोकतंत्र का शत्रु है । हिन्दू परिवार व्यवस्था, जाति व्यवस्था का निर्माण करती है । इस परिवार व्यवस्था पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है ।- पी. शिवकामी (हिन्दू परिवार व्यवस्था आदर्श पद्धति है । वर्तमान में, जब पश्चिमी समाज इसे स्वीकार कर रहा है, हिन्दू विरोधी समूहों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है, यह कष्टप्रद है ! – संपादक)