(कहते हैं) ‘मंत्री-स्तरीय पद नहीं, केवल बच्चों को जन्म देना, यही महिलाओं का काम है !’ – तालिबान

  • भारत के महिला संगठन, मानवाधिकार संगठन, आदि तालिबान के विरुद्ध मुंह क्यों नहीं खोलते अथवा क्या वे सोचते हैं कि तालिबान जो कर रहा है वह उचित है ? – संपादक

  • हिन्दू धर्म में महिलाओं को देवी का स्थान दिया गया है, परंतु तालिबान द्वारा बताए गए शरीयत कानून में महिलाओं को केवल भोग-वस्तु एवं बच्चों को जन्म देने वाला साधन माना जाता है, यह ध्यान रखें ! इस पर भी ध्यान दें, कि इस विषय में एक भी आधुनिकतावादी, धर्मनिरपेक्षतावादी एवं फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे नेता बात नहीं करते हैं ! – संपादक
तालिबान के एक प्रवक्ता

काबुल (अफगानिस्तान) – एक महिला, मंत्री नहीं हो सकती है । महिला को मंत्री बनाना अर्थात एक व्यक्ति को जो वह न संभाल सके, ऐसा दायित्व देने जैसा है । महिलाओं को मंत्रिपरिषद में सम्मिलित करने की कोई आवश्यकता नहीं है । महिलाओं को केवल बच्चों को जन्म देना चाहिए, ऐसा वक्तव्य तालिबान के एक प्रवक्ता ने ‘टोलो न्यूज’ इस समाचार माध्यम के साथ हुई बातचीत में दिया । इससे पूर्व, तालिबान ने महिलाओं को समान अधिकार देने का आश्वासन दिलाया था । इस प्रवक्ता ने यह भी कहा कि, ‘वर्तमान में जो महिलाएं विरोध कर रही हैं, वे पूरे अफगानिस्तान की महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं ।’

तालिबान सरकार के विरुद्ध काबुल एवं अन्य कुछ शहरों में विगत कुछ दिनों से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं । इस आंदोलन में महिलाओं की भी भागीदारी महत्वपूर्ण है । महिलाओं द्वारा भी समान अधिकार, शिक्षा एवं रोजगार के अधिकार के लिए आंदोलन किए जा रहे हैं ।