इस्लाम धर्म संगीत, नृत्य, लोकतंत्र, महिला अधिकार आदि का विरोध करता है ! – बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन

  • क्या भारत में धर्मनिरपेक्षतावादी, आधुनिकतावादी, इस्लामवादी विद्वान आदि क्या इस विषय में बात करेंगे ? क्या वे तालिबान का विरोध करेंगे ? – संपादक

  • वैज्ञानिक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वाले तालिबान से क्यों नहीं पूछते, “क्या संगीत, नृत्य, नाटक आदि का विरोध करने वाले लोग २१ वें शतक में रहने लायक हैं ?” – संपादक
बांगलादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन

नई दिल्ली – तालिबान ने वाद्ययंत्रों को नष्ट किया ; क्योंकि, इस्लाम संगीत के विरुद्ध है । क्या धर्म है ! इस्लाम संगीत, नृत्य, चलचित्र, नाटक का विरोध करता है । बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के शब्दों में ; इस्लाम लोकतंत्र, महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्र विचारों का भी विरोध करता है । तस्लीमा नसरीन ने इन शब्दों में तालिबान के शरीयत पर आधारित शासन की आलोचना की है ।