वाशिंगटन (अमेरिका) – अमेरिका की केंद्रीय गुप्तचर संस्था सीआईए के भूतपूर्व प्रमुख डगलस लंदन का कहना है, कि पाकिस्तान एवं तालिबान के मध्य गठबंधन भारत के लिए संकटपूर्ण है । अब संपूर्ण संसार को पता चल गया है, कि तालिबान को पाकिस्तान से सहायता मिल रही है । इसके अतिरिक्त, अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत पर नियंत्रण प्राप्त करने में पाकिस्तान द्वारा तालिबान की सहायता करने के लिए एक ड्रोन आक्रमण ने उनके गठबंधन को मुहर-बंद (सील) कर दिया है । इस पृष्ठभूमि पर डगलस लंदन बोल रहे थे ।
India has good reason to worry over Taliban's rise: Ex-CIA official https://t.co/5iN73xi9uS
— Hindustan Times (@HindustanTimes) September 6, 2021
लंदन ने कहा,
१. पाकिस्तान का तालिबान को समर्थन एवं पाकिस्तानी सेना के हक्कानी नेटवर्क के साथ संबंध, भारत के लिए चिंता का विषय है । पाकिस्तान, तालिबान सहित अन्य भी आतंकवादी संगठनों का समर्थन करता है । पाकिस्तान की यह नीति भारत-पाकिस्तान संबंधों के राजनीतिक दृष्टिकोण से निर्धारित होती है । पाकिस्तान को भारत से संकट है तथा वह कोई भी सूत्र अथवा चुनौती इसी दृष्टिकोन से देखता है ।
२. भारत एवं चीन के मध्य भी तनाव है । चीन, पाकिस्तान के निकट का सहयोगी है । चीन द्वारा अफगानिस्तान के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने के प्रयास आरंभ हैं ; परंतु, यदि तालिबान उइगर मुसलमान अलगाववादियों को आश्रय देता है, तो चीन की कठिनाइयां बढ सकती हैं । ऐसा होने से रोकने के लिए, चीन तालिबान पर दबाव बनाएगा ।
३. तालिबान अन्य आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने पर विचार कर सकता है । तालिबान, लश्कर-ए-तैयबा एवं जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों से अपने संबंध तोडने की संभावना अल्प है । इसलिए, यह भारत तथा मध्य एशिया के लिए चिंता का विषय हो सकता है ।
४. पाकिस्तान समर्थित उग्रवादी गुट उसके नियंत्रण के परे होने की संभावना है । इतना ही नहीं, यह पाकिस्तान के सैन्य प्रभुत्व को भी संकटकारी सिद्ध हो सकता है ।
अपनी पुस्तक, ‘द रिक्रूटर: स्पाइंग एंड द लॉस्ट आर्ट ऑफ अमेरिकन इंटेलिजेंस’ में, डगलस ने ‘२०२० में अमेरिका-तालिबान के मध्य हुए शांति करार को अमेरिकी इतिहास में सबसे हानिकारक करार’ बताया है ।