परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा वर्णित संकटकाल की भयावहता !
‘तीसरा विश्वयुद्ध अत्यंत भीषण होगा । इसमें भारत फंसेगा । परमाणु बम से अत्यधिक संहार होगा । गांव-के-गांव उजड जाएंगे । तीसरे विश्वयुद्ध के कारण पृथ्वी पर रज-तम (प्रदूषण) बहुत बढेगा । इसलिए इस विश्वयुद्ध के पश्चात संपूर्ण पृथ्वी पर सात्त्विकता बढाने के लिए पृथ्वी को शुद्ध करना पडेगा । उसके लिए अनेक संत बनने आवश्यक हैं । यह कार्य होने के लिए साधक अभी से अपनी साधना बढाने पर ध्यान केंद्रित करें ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था.