पठानकोट (पंजाब) में वायुसेना अड्डे पर हुए आक्रमण में भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों ने की सहायता ! – दो विदेशी पत्रकारों की पुस्तकों में दावा !

  • विदेशी पत्रकारों को जो जानकारी मिलती है, वह भारतीय गुप्तचर विभाग को क्यों उपलब्ध नहीं होती, जिनके पास सारे संसाधन हैं  ! क्या यह जानकारी जानबूझकर दबाई गई है ! देश के लोगों को यह बताया जाना चाहिए  ! – संपादक
  • ऐसे भ्रष्ट और देशद्रोही पुलिस अधिकारियों को मृत्युदंड देने के लिए क्या सरकार कदम उठाएगी ? – संपादक

नई दिल्ली – पठानकोट (पंजाब) में एक वायुसेना अड्डे पर हुए आतंकी आक्रमण में स्थानीय पुलिस अधिकारी भी सम्मिलित थे । ये भ्रष्ट अधिकारी आक्रमण से पूर्व हवाई तल पर नजर रखे हुए थे। उनमें से एक को हवाई तल की ऒर जानेवाला सुनसान रास्ता मिल गया । दो पत्रकार एड्रियन लेवी और कैथी स्कॉट क्लार्क के अनुसार आक्रमण कारी आतंकियों ने इसी रास्ते का उपयोग कर गोला-बारूद, ग्रेनेड, मोर्टार और एके-४७ राइफल ले जाने के लिए किया था ।’ यह उल्लेख उन्होंने अपनी पुस्तक “स्पाय स्टोरीज : इनसाइड द सीक्रेट वर्ल्ड ऑफ द ‘रॉ’ अँड द आय.एस्.आय.” में किया है ।

२ जनवरी २०१६ को वायुसेना के हवाई तल पर आक्रमण किया गया था । इस आक्रमण  को भारतीय सेना की वर्दी में घुसे आतंकियों ने फलद्रूप किया था। वे भारत-पाकिस्तान सीमा पर रावी नदी के रास्ते आए थे । भारतीय सीमा पर पहुंचने पर, आतंकवादियों ने कुछ वाहन चुराए और पठानकोट वायुसेना तल की ओर बढ़ गए । वायु सेना विमान तल की संरक्षण दीवार को  पार कर, घास में छुपते-छुपते वे उस स्थान पर पहुँचे, जहाँ सैनिकों के निवासस्थान थे । वहां पर हुई झड़पों में तीन आतंकवादी मारे गए और तीन भारतीय जवान घायल हुए । अगले दिन, बमबारी में चार और भारतीय सैनिक मारे गए। सुरक्षा बलों को स्थिति अपने नियंत्रण में लाने के लिए तीन दिन  लगे ।

सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में निर्देश दिए जाने के उपरांत भी लापरवाही की गई !

पत्रकारों ने कहा कि बार-बार चेतावनी दिए जाने के उपरांत भी, भारत ने अपनी सुरक्षा सुदृढ नहीं की है । पंजाब की ९१ किमी से अधिक सीमा पर बाड़ नहीं लगाई गई । कम से कम चार प्रतिवेदनों में  सुझाव दिया गया था कि नदियाँ और नाले  घुसपैठ के प्रति संवेदनशील हो सकती हैं; किन्तु कोई कार्रवाई नहीं की गई । इस संवेदनशील मुद्दे पर छह बार लिखित निर्देश के बाद भी गश्त नहीं बढ़ाई गई । निगरानी के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया गया ।

भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों ने निगरानी की  !

भारत में ही आक्रमण के लिए ३५० किलो विस्फोटक खरीदा गया था । इसकी कीमत जैश-ए-मोहम्मद ने चुकाई थी । स्थानीय पुलिस अधिकारियों सहित आतंकवादियों के भारतीय साथियों पर, वायुसेना अड्डे पर कड़ी नजर रखने का संदेह था । पुलिस अधिकारियों में से एक ने उस क्षेत्र की जानकारी ली, जहां सुरक्षा व्यवस्था कमजोर थी । यहां लगे सी.सी.टीवी. कैमरों से चित्रीकरण नहीं हो रहा था । निगरानी के लिए कोई उपकरण भी नहीं था । इस पुलिस अधिकारी की सहायता से आतंकी ५० किलो गोला-बारूद, ३० ग्रेनेड, मोर्टार और एके-४७ राइफल को वायुसेना तल  तक ले जाने में सफल रहे ।