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उज्जैन (मध्य प्रदेश) – हाल ही में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है कि यज्ञयाग से मनुष्य का तनाव अल्प होने के साथ-साथ वातावरण के प्रदूषण का स्तर भी न्यून होता है । इस संदर्भ में गायत्री शक्तिपीठ एवं गुजराती माली समाज की धर्मशाला में दो-दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई थी । इस कार्यशाला में आधुनिक उपकरणों की सहायता से यज्ञ के परिणामों का परीक्षण किया गया । इस परीक्षण से यह स्पष्ट हो गया कि यज्ञ का मनुष्य एवं पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पडता है ।
इस समय जबलपुर से आए प्रकाश मुरजानी, उज्जैन की यज्ञाचार्य माधुरी सोलंकी, याज्ञिक (धार्मिक-विधियां) शास्त्र की शोधकर्ता नीति टंडन ने प्रतिदिन यज्ञयाग किए जाने वाले शक्तिपीठ का उनके पास उपलब्ध आधुनिक उपकरणों की सहायता से परीक्षण किया । उन्होंने वैसा ही परीक्षण घनी जनसंख्या में स्थित तथा यातायात, कोलाहल एवं अन्य प्रकार का प्रदूषण होने वाली धर्मशाला का भी किया ।
१. शक्तिपीठ की यज्ञशाला एवं गौशाला का वातावरण सर्वाधिक सकारात्मक !
प्रथम शक्तिपीठ में ‘ऑरा स्कैनर’ की सहायता से वातावरण का परीक्षण किया गया । तब यज्ञशाला तथा गौशाला में सर्वाधिक आभा (ऑरा) पाई गई । अन्य स्थानों के परीक्षणों में यह आभा अत्यल्प थी । शक्तिपीठ स्थान पर प्रतिदिन यज्ञयाग किए जाते हैं । इसलिए यह ध्यान में आया कि वहां आभा अधिक थी । गौशाला के स्थल पर किए गए एक परीक्षण में ‘ऑरा स्कैनर’ में ३६० अंश का संकेतांक दिखाई दिया । इससे गौशाला क्षेत्र में सबसे अधिक सकारात्मक वातावरण होता है, यह बात सामने आई । (इससे हिन्दुओं को पूजनीय गाय का आध्यात्मिक महत्व ध्यान में आता है ! इससे स्पष्ट होता है कि विज्ञान ने भी हिन्दुओं की इस मान्यता को अपनी स्वीकृति ही दे दी है कि ‘गाय में ३३ कोटी देवता होते हैं’। – संपादक)
२. यज्ञ से मनुष्य का तनाव होता है न्यून !
अनुसंधान के भाग के रूप में धर्मशाला एवं शक्तिपीठ इन दोनों स्थानों पर यज्ञ किए गए थे । यज्ञ के पूर्व एवं पश्चात वहां उपस्थित लोगों के तनाव का स्तर ‘हैप्पीनेस इंडेक्स मीटर (सुख सूचकांक मापक)’ नामक उपकरण की सहायता से नापा गया । यज्ञ से पूर्व जिन लोगों में उच्च स्तर का तनाव था, यज्ञ के पश्चात उनके तनाव का स्तर अल्प पाया गया । धर्मशाला के स्थान पर किए गए एक प्रयोग में पाया गया कि १० में से ९ लोगों में तनाव का स्तर न्यून हुआ है । इससे प्रमाणित हुआ कि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर यज्ञ करने का सकारात्मक प्रभाव पडता है ।
३. यज्ञ से प्रदूषण का स्तर होता है न्यून !
धर्मशाला क्षेत्र में यज्ञ से पूर्व प्रदूषण अधिक मात्रा में था । ‘एयर वेदा’ इस यंत्र की सहायता से यज्ञ से पूर्व एवं यज्ञ के पश्चात ‘पीएम २.५’, ‘पीएम१०’ एवं ‘कार्बन डाइऑक्साइड’ इन घातक वायुओं का स्तर नापा गया । दोनों ही स्थानों पर यज्ञ के पश्चात इन तीनों वायुओं का स्तर न्यून पाया गया । इससे प्रमाणित हुआ कि यज्ञ से प्रदूषण न्यून होता है ।
४. यज्ञ से वातावरण की घनता होती है न्यून !
धर्मशाला के जिस कक्ष में प्रयोग किए गए, वहां यज्ञ से पूर्व प्रदूषण की घनता अधिक थी । यज्ञ के समय यह बढ गई एवं यज्ञ के एक घंटे के उपरांत द्रुत गति से न्यून हुई ।