न्यायालय के कक्ष का उपयोग धर्म परिवर्तन के लिए करने वाले एक धर्मांध अधिवक्ता का लाइसेंस (अनुज्ञा पत्र ) देहली बार काउंसिल (विधिज्ञ परिषद ) द्वारा अस्थायी रूप से निरस्त  !

देहली के कडकडडूमा न्यायालय की घटना

  • केवल अस्थाई रूप से लाइसेंस निरस्त कर न रुकते हुए बार काउंसिल को ऐसे व्यक्तियों को कारागृह में डालने के लिए भी प्रयास करना चाहिए  !
  • क्या ऐसी घटनाएं अन्य न्यायालयों में हो रही हैं ? इसकी जांच-पडताल भी अब प्रत्येक स्थानीय बार काउंसिल द्वारा किया जान चाहिए  !
  • ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जहां न्यायालय के परिसर में स्थित कक्ष का उपयोग गलत बातोंके लिए किया जा रहा है । इसके पूर्व, कांग्रेस के नेता होने वाले एक अधिवक्ता ने एक महिला अधिवक्ता का अपने कक्ष में यौन उत्पीडन करने की बात सामने आई थी । इसे ध्यान में रखते हुए बार काउंसिल को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि देश के सभी न्यायालयों में कक्षों का उपयोग असामाजिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जा रहा है ।

नई देहली – देहली बार काउंसिल ने कडकडडूमा न्यायालय में कार्यरत अधिवक्ता इकबाल मलिक का लाइसेंस अस्थायी रूप से निरस्त कर दिया है । इसलिए फलस्वरूप, वह तब तक अधिवक्ता का व्यवसाय नहीं कर पाएगा जब तक उसका लाइसेंस अस्थायी रूप से निरस्त रहता है । इकबाल पर आरोप है कि उसने अपने कक्ष (न्यायालय परिसर में कार्यालयीन काम के लिए अधिवक्ताओं को दिया गया एक छोटा कक्ष ) का उपयोग धर्म परिवर्तन एवं विवाह रचाने के लिए किया । (लव जिहाद को प्रोत्साहन देने वाला धर्मांध अधिवक्ता  ! यह दर्शाता है कि संपूर्ण देश में लव-जिहाद विरोधी कानून लागू करने की आवश्यकता क्यों है ! – संपादक) । कहा जाता था कि, ‘उन्होंने अपने कक्ष को मस्जिद बना लिया था ।’  यहां विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते थे । काउंसिल ने पुलिस को इस प्रकरण की जांच के लिए इकबाल का कक्ष सील(बंद) करने का भी आदेश दिया था ।  काउंसिल ने इकबाल को ७ दिनों में काउंसिल की अनुशासन समिति को जवाब देने के लिए कहा है । उसमें यह भी कहा गया है कि, ‘यदि वह इस समयसीमा में उत्तर नहीं देता है, तो उचित कार्यवाही की जाएगी ।’