भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और विधायक जयंत बरुआ को डर
ऐसा न हो, इस का दायित्व हिंदुओं द्वारा भाजपा को देने के कारण राष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या नियंत्रण कानून, समान नागरी कानून, धर्मांतरण विरोधी कानून आदि कानून तत्काल सम्मत कर उन्हें लागू करना चाहिए !
गोहाटी (असम) – असम में मुसलमानों की जनसंख्या बढने की दर ऐसी ही रही, तो वर्ष २०३८ तक असम में हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएंगे, और मुसलमान बहुसंख्यक हो जाएंगे, ऐसा डर असम के भाजपा विधायक और प्रदेश उपाध्यक्ष जयंत मल्ला बरुआ ने व्यक्त की है ।
बरुआ द्वारा राज्य की जनसंख्या के विषय में बताए सूत्र
2038 तक मियाँ-मुस्लिम होंगे बहुसंख्यक, हिंदुओं के मुकाबले ट्रिपल रेट से बढ़ रही आबादी: असम CM के पॉलिटिकल सेक्रेटरी ने चेताया#Assam #Muslims #populationcontrollaw https://t.co/eaddARoJXL
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) June 16, 2021
१. वर्ष १९९१-२००१ इस अवधि मे असम में हिंदुओं की जनसंख्या १४.९ प्रतिशत बढी़ थी, तो मुसलमानों की जनसंख्या २९.३ प्रतिशत बढी़ थी । संक्षेप में देखा जाए तो इन १० वर्षों में हिंदुओं की तुलना में मुसलमानों की जनसंख्या बढने की गति दुगुनी थी ।
२. वर्ष २००१-२०११ इस दशक में हिंदू १०.९ प्रतिशत, तो मुसलमान २९.६ प्रतिशत गति से बढे । इसका अर्थ हिंदुओं की तुलना में यह बढत तिगुनी थी । कुल मिलाकर हिंदुओं की जनसंख्या की गति पहले के दशकों की अपेक्षा कम हुई, तो मुसलमानों की बढी ।
३. जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष १९७१ में असम की जनसंख्या में हिंदू ७१.५१ प्रतिशत, तो मुसलमान २४.५६ प्रतिशत थे; लेकिन वर्ष २०११ में हिंदू ६१.४६ प्रतिशत, तो मुसलमान ३४.२२ प्रतिशत हो गए । अर्थात हिंदुओं की जनसंख्या कम होकर मुसलमानों की बढी है ।
४. वर्ष १९७१ मे असम में दो जिले मुसलमान बाहुल्य थे; लेकिन वर्ष २०११ में यह संख्या ११ हो गई है ।