परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘जैसे किसी निरक्षर का यह कथन कि ‘सभी भाषाओं के अक्षर समान ही होते हैं’, कहनेवाले का अज्ञान दर्शाता है, उसी प्रकार ‘सर्वधर्मसमभाव’ कहनेवाले अपना अज्ञान दर्शाते हैं । ‘सभी औषधियां, सभी कानून समान हैं’, ऐसा कहने के समान है ‘सर्वधर्मसमभाव’ कहना ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले