यूरोप, अमेरिका और चीन के कारण संसार को जलवायु परिवर्तन के संकट का सामना करना पड रहा है ! – भारत

गत २०० वर्षों में जलवायु परिवर्तन में भारत का योगदान केवल ३% है !

नई दिल्ली: गत २०० वर्षों में, विशेषतः यूरोप और अमेरिका एवं गत ४० वर्षों में चीन द्वारा किए गए कार्बन उत्सर्जन के कारण जलवायु परिवर्तन के संकट का सामना करना पड रहा है; परंतु इन्हीं २०० वर्षों में जलवायु परिवर्तन संकट में भारत सहभाग केवल ३% है, ऐसी जानकारी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक कार्यक्रम में दी । ‘पर्यावरण शिखर सम्मेलन: पुनरुज्जीवन, पुनर्जन्म और प्रकृति संरक्षण’ इस विषय पर यह ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया था ।

जावड़ेकर ने आगे कहा कि यूरोप के देशों के साथ-साथ अमेरिका और चीन जैसे देशों ने संसार को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाया है; किन्तु संसार को बडी मात्रा में प्रदूषित किया है । भारत एक ऎसा देश है, जिसने पर्यावरण परिवर्तन पर सबसे कम प्रभाव डाला है । पेरिस अनुबंध के एक भाग के रूप में, विकसित देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकासशील देशों को वार्षिक १०० अरब डॉलर (७ लाख ३३ सहस्र करोड से अधिक भारतीय रुपए) देने का आश्वासन दिया था: परंतु पिछले ११ वर्षों से कुछ नहीं हुआ है । जलवायु परिवर्तन, विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं और तूफान का कारण बन रहा है । इसलिए हमें जैव विविधता की रक्षा और हमारी पर्यावरण की चुनौतियों का समाधान खोजने पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए ।