नई दिल्ली – कोरोना महामारी पिछले १०० वर्षों में सबसे बडा संकट है । कोरोना संक्रमण ने आपके सामने मुश्किलें बढाई हैं । इससे पूर्व की महामारी हो या कोरोना संक्रमण, इसमें हमने एक बात निश्चित सीखी है, और वह यह कि ऐसी परिस्थिति में संकट से दो हाथ करने के प्रयासों में नियमित आवश्यक बदलाव और प्रयोग करना अत्यंत आवश्यक है । यह विषाणु अपना रूप बदलने में चतुर है । इसलिए अपना तरीका और रणनीति विस्तृत होनी चाहिए। ऐसा प्रतिपादन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने १० राज्यों के मुख्यमंत्री और प्रशासकीय अधिकारियों के साथ हुई ऑनलाईन बैठक में किया ।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बताए गए सूत्र
- एक वैक्सीन का नुकसान अर्थात एक जीवन को आवश्यक सुरक्षा कवच प्रदान करने में असफल होने से वैक्सीन का नुकसान टालना चाहिए ।
- प्रत्यक्ष युद्धभूमि पर किए कार्य से, अपने अनुभवों से और उससे सुझाए गई सलाह से व्यावहारिक और प्रभावी रणनीति बनाई जा सकती है ।
(कहते हैं) ‘हमें बोलने ही नहीं दिया !’ – ममता बनर्जी का आरोप
कोलकाता – प्रधानमंत्री मोदी की बैठक में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी उपस्थित थीं । इस बैठक के बाद उन्होंने एक पत्रकार परिषद लेकर केंद्र सरकार पर टिप्पणी की । उन्होंने कहा कि, इस बैठक में १० राज्यों के मुख्यमंत्री उपस्थित थे । मुख्यमंत्री के रुप में मैं उपस्थित थी । इस कारण मैंने जिलाधिकारियों को इस बैठक में उपस्थित नहीं होने दिया । भाजपा के कुछ मुख्यमंत्री और प्रधान मंत्री मोदी ने उनके सूत्र प्रस्तुत किए; लेकिन मुझे बोलने का अवसर नहीं मिला । सभी मुख्यमंत्री केवल चुप बैठे हुए थे । किसी ने भी कुछ नहीं बोला । हमें कोरोना वैक्सीन की मांग करनी थी; लेकिन बोलने ही नहीं दिया गया, ऐसा आरोप ममता बनर्जी ने लगाया ।
ममता बनर्जी ने आगे कहा कि, कोरोना संक्रमण कम हो रहा है। मोदी ने कहा; लेकिन पहले भी ऐसा ही हुआ था । हम ३ करोड वैक्सीन की मांग करने वाले थे । इस महीने २४ लाख वैक्सीन मिलने वाले थे; मात्र १३ लाख वैक्सीन ही मिले ।